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________________ ३०४ पञ्चाशकप्रकरणम् [सप्तदश उपस्थापनया ज्येष्ठो विज्ञेयः पूर्वपश्चिमजिनानाम । प्रव्रज्यया तु तथा मध्यमकानां निरतिचारः ।। २९ ॥ महाव्रतों का आरोपण होना उपस्थापना है। प्रथम और अन्तिम जिनों के साधुओं में उपस्थापना से ज्येष्ठता मानी जाती है, अर्थात् जिसकी बड़ी दीक्षा पहले हो वह ज्येष्ठ माना जाता है। मध्य जिनों के साधुओं की सामायिक चारित्र की दीक्षा से ही उनकी ज्येष्ठता मानी जाती है, किन्तु यह तभी हो सकता है जब उनका चारित्र अतिचार रहित हो। चारित्र अतिचार सहित हो तो उसकी छोटी दीक्षा हो या बड़ी दीक्षा, ज्येष्ठता नहीं मानी जाती है, क्योंकि उसकी पूर्व दीक्षा अप्रामाणिक होती है। यदि उसे फिर से दीक्षा या उपसम्पदा दी जाये तो वह प्रामाणिक मानी जाती है ।। २९ ॥ उपस्थापना के योग्य जीव का स्वरूप पढिए य कहिएँ अहिगएँ परिहर उवठावणाएँ कप्पोत्ति । छक्कं तीहिँ विसुद्धं सम्मं णवएण भेएण ।। ३० ।। पठिते च कथितेऽधिगते परिहरन् उपस्थापनया कल्प इति ।। षट्कं त्रिभिर्विशुद्धं सम्यग् नवकेन भेदेन ।। ३० ।। आचाराङ्गसूत्र के शस्त्रपरिज्ञा अध्ययन के सूत्र और अर्थ को पढ़कर और समझकर जान ले, तब मन, वचन और काय से न करना, न कराना और न अनुमोदन करना (३ x ३ = ९) - इस प्रकार नवकोटि से विशुद्ध छह जीवनिकायों की हिंसा अथवा छह अव्रतों का त्याग करता हुआ जीव उपस्थापना के योग्य बनता है ।। ३० ।। दो की एक साथ उपस्थापना करने पर छोटे-बड़े की व्यवस्था पित्ति'पुत्तमाइयाणं समगं पत्ताण जेट्ठ पित्ति'पभिई । थेवंतरे विलंबो पण्णवणाए उवट्ठवणः ।। ३१ ।। पितापत्रादीनां समकं प्राप्तानां ज्येष्ठाः पितृप्रभृतयः । स्तोकान्तरे विलम्बः प्रज्ञापनया उपस्थापना ।। ३१ ।। पिता-पुत्र, राजा-अमात्य, माता-पुत्री, रानी, अमात्य पत्नी आदि एक साथ अध्ययन आदि करके बड़ी दीक्षा के योग्य बन जायें तो पिता, राजा, माता, रानी आदि ज्येष्ठ होते हैं। पिता-पुत्र आदि में थोड़ा अन्तर हो अर्थात् पुत्र थोड़े दिन १. 'पिति' इति मूले। २. "पिति' इति मूले। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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