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________________ २५२ पञ्चाशकप्रकरणम् [ चतुर्दश ____ पारमार्थिक साधु में कषादि से शुद्धि निमवत् होती है – पद्म, शुक्ल आदि विशिष्टलेश्या (मनोभाव) कषशुद्धि हैं, क्योंकि कर्षण से शुद्ध सुवर्ण और शुभलेश्याओं से युक्त साधु - दोनों ही निर्मल होते हैं। शुद्धभावों की प्रधानता छेदशुद्धि है। अपकारी के प्रति कृपा तापशुद्धि है, इस प्रकार विकाराभाव की दृष्टि से सोना और साधु में समानता है (जैसे तापशुद्ध सोना अग्नि में पड़ने पर दोषयुक्त + नहीं बनता है, वैसे ही तापशुद्ध साधु अपकारी के प्रति क्रोधादि रूप विकारवाला नहीं होता है)। बीमारी आदि में अचल बने रहना ताडनाशुद्धि है। जिस प्रकार ताडनाशुद्ध सोने में सुवर्ण के आठ गुण होते हैं, उसी प्रकार ताडनाशुद्ध साधु में शास्त्रोक्त साधु के गुण होते हैं ।। ३७ ।। नाम और आकृति से साधु नहीं बना जा सकता तं कसिणगुणोवेयं होइ सुवण्णं ण सेसयं जुत्ती । ण वि णाम रूवमेत्तेण एवमगुणो भवति साहू ।। ३८ ।। तत्कृत्स्नगुणोपेतं भवति सुवर्णं न शेषकं युक्तिः । नापि नाम रूपमात्रेण एवमगुणो भवति साधुः ।। ३८ ।। जिस प्रकार उपर्युक्त आठ गुणों से युक्त सोना वास्तविक सोना है, गुण रहित सोना वास्तविक सोना नहीं है, अपुित नकली है। उसी प्रकार (शास्त्रोक्त साधुगुणों से युक्त साधु ही वास्तविक साधु है) गुणरहित साधु वेश मात्र से - वास्तविक साधु नहीं होता है ।। ३८ !।। रंग से सोना नहीं बनता जुत्तीसुवण्णगं पुण सुवण्णवण्णं तु जदिवि कीरेज्जा । ण हु होति तं सुवण्णं सेसेहिं गुणेहऽसंतेहिं ।। ३९ ।। युक्तिसुवर्णकं पुनः सुवर्णवर्णं तु यद्यपि क्रियेत । न खलु भवति तत्सुवर्णं शेषैर्गुणैरसद्भिः ।। ३९ ।। सोना नहीं होने पर भी दूसरे द्रव्यों के संयोग से सोने जैसा दिखलाई देने वाला असली सोना नहीं है, अपितु नकली सोना है। नकली सोने को सोने के रंग जैसा भी किया जाये तो भी वह असली सोना नहीं होगा, क्योंकि उसमें सोने के विष-घाती आदि गुण नहीं हैं ॥ ३९ ॥ साधु के गुणों से युक्त साधु ही तात्त्विक साधु है जे इह सुत्ते भणिया साहुगुणा तेहिं होइ सो साहू । वण्णेणं जच्चसुवण्णगव्व संते गुणणिहिम्मि ।। ४० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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