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________________ चतुर्दश ] शीलाङ्गविधानविधि पञ्चाशक २४३ इय मद्दवादिजोगा पुढविक्काए भवंति दस भेया । आउक्कायादीसुवि इय एते पिंडियं तु सयं ।। ७ ।। सोइंदिएण एयं सेसेहिवि जं इमं तओ पंच । आहारसण्णजोगा इय सेसाहिं सहस्सदुगं ।। ८ ।। एयं मणेण वइमादिएसु एयंति छस्सहस्साइं । ण करइ सेसेहिपि य एए सव्वेऽवि अट्ठारा ।। ९ ।। न करोति मनसाऽऽहारसंज्ञाविप्रहीणस्तु नियमेन । श्रोत्रेन्द्रियसंवृतः पृथ्वीकायाऽऽरम्भं क्षान्तियुतः ।। ६ ।। इति मार्दवादियोगात् पृथ्वीकाये भवन्ति दशभेदाः । अप्कायादिष्वपि इति एते पिण्डितं तु शतम् ।। ७ ।। श्रोत्रेन्द्रियेणैतच्छेषैरपि यदिदं ततः पञ्च । आहारसंज्ञायोगादिति शेषाभिः सहस्रद्वयम् ।। ८ ।। एतन्मनसा वागाद्यो एतदिति षट्सहस्राणि । न करोति शेषैरपि च ऐते सर्वेऽपि अष्टादश ।। ९ ।। आहारसंज्ञा रहित, श्रोत्रेन्द्रिय से होने वाली रागादि प्रवृत्तियों को रोकने वाला, क्षमावान, मन से भी पृथ्वीकाय आदि की हिंसा नहीं करता। यह श्रमणधर्म का प्रथम अंग है ।। ६ ।। इसी प्रकार मार्दव, आर्जव आदि दस धर्मों के संयोग से पृथ्वीकाय के आरम्भगत दश भेद होते हैं। इसी प्रकार अप्काय आदि के आधार पर कुल सौ भेद होते हैं ।। ७ ।। ये सौ भेद श्रोत्रेन्द्रिय के योग से हुए। शेष चक्षु आदि चार इन्द्रियों के योग से भी प्रत्येक के इस प्रकार सौ भेद होते हैं। इसलिए कुल पाँच सौ भेद हुए। ये पाँच सौ भेद आहार संज्ञा के योग से हुए। शेष तीन संज्ञा के योग से प्रत्येक के पाँच सौ भेद हुए । इस प्रकार कुल दो हजार भेद हुए ।। ८ ।। ये दो हजार भेद मन से हुए। शेष वचन और काया से भी प्रत्येक के दो-दो हजार भेद होते हैं, जो कुल मिलाकर छ: हजार भेद होते हैं। ये छः हजार भेद स्वयं नहीं करने की दृष्टि से हुए। न करवाने और न समर्थन करने से भी प्रत्येक के छ: छः हजार भेद हुए। इस प्रकार कुल मिलाकर अठारह हजार भेद हुए ।। ९ ।। प्रश्न : एक ही योग से अठारह हजार भेद होते हैं। यदि दो योगों आदि के संयोग से होने वाले भेदों को मिलाया जाय तो और अधिक भेद होंगे। वे इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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