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________________ २३४ पञ्चाशकप्रकरणम् - [त्रयोदश भिक्षाशब्दोऽप्येवम् अनियतलाभविषय इति एवमादि । । सर्वमेव उपपनं क्रियावति तु यतौ ।। ३३ ।। जिस प्रकार पिण्डविशुद्धि का वास्तविक अर्थ यति के आहार-ग्रहण में ही घटित होता है, उसी प्रकार भिक्षा शब्द का वास्तविक अर्थ यति की भिक्षा में ही घटित होता है, क्योंकि भिक्षा शब्द का अर्थ अनियत प्राप्ति (अलग-अलग घरों में से उन घरों की रसोई के प्रमाण के अनुसार) है। दूसरों के द्वारा लाकर दी गई भिक्षा में अनियत प्राप्ति अर्थ घटित होना आवश्यक नहीं है ।। ३३ ।। निर्दोष पिण्ड असम्भव है - ऐसा दूसरों का मत अण्णे भणंति समणादत्थं उद्देसियादि संचाए । भिक्खाए अणडणं चिय विसेसओ सिट्ठगेहेसु ।। ३४ ।। धम्मट्ठा आरंभो सिट्ठगिहत्थाण जमिह सव्वोऽवि । सिद्धोत्ति सेसभोयणवयणाओ तंतणीतीए ।। ३५ ।। तम्हा विसेसओ चिय अकयातिगुणा जईण भिक्खत्ति । एयमिह जुत्तिजुत्तं संभवभावेण ण तु अन्नं ।। ३६ ॥ अन्ये भणन्ति श्रमणाद्यर्थमुद्देशिकादि सन्त्यागे । भिक्षायै अनटनमेव विशेषतः शिष्टगेहेषु ।। ३४ ।। धर्मार्थमारम्भः शिष्टगृहस्थानां यदिह सर्वोऽपि । सिद्ध इति शेषभोजनवचनात् तन्त्रनीत्या ।। ३५ ।। तस्माद् विशेषत एव अकृतादिगुणा यतीनां भिक्षेति । एतदिह युक्तियुक्तं सम्भवभावेन न तु अन्यत् ।। ३६ ॥ दूसरे कहते हैं कि श्रमण, साधु, पाखण्डी और यावदर्थिक के लिए किये गये औदेशिक-मिश्रजात आदि आहार का त्याग करने से भिक्षाकुलों में भिक्षा के लिए घूमा ही नहीं जा सकता है, उसमें भी विशिष्ट कुलों में तो कदापि नहीं ॥ ३४ ॥ क्योंकि इस आर्य देश में स्मृति-ग्रन्थों का अनुसरण करने वाले गृहस्थ आहार बनाने सम्बन्धी सभी प्रवृत्तियाँ पुण्य के लिए करते हैं अर्थात् प्रायः सभी लोग श्रमण को भिक्षा देने से होने वाले पुण्य के लिए भोजन तैयार करते हैं। इसकी सिद्धि स्मृतिवचन - गुरुदत्तशेषं भुञ्जीत (अर्थात् गुरु को देने से बचा हुआ भोजन करना चाहिए), इस शास्त्रनीति से होती है ।। ३५ ॥ इसलिए गृहस्थों के घरों में इस साधु के लिए यह भोजन देना चाहिए' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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