SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्रयोदश] पिण्डविधानविधि पञ्चाशक २२९ जो जस्स कोइ भत्तो वणेइ तं तप्पसंसणेणेव । आहारट्ठा कुणति व मूढो सुहुमेयरतिगिच्छं ।। २१ ।। कोहप्फलसंभावणपडुपण्णो होइ कोहपिंडो उ।। गिहिणो कुणदऽहिमाणं मायाएँ दवावए तह य ।। २२ ।। अतिलोभा परियडती आहारट्ठाएँ संथवं दुविहं । कुणइ पउंजइ विज्जं मंतं चुण्णं च जोगं च ।। २३ ।। अन्नमिह कोउगाइ व पिंडत्थं कुणइ मूलकम्मं तु । साहुसमुत्था एते भणिया उप्पायणादोसा ।। २४ ।। धात्रीत्वं करोति पिण्डाय तथैव दूतीत्वम् । तीतादिनिमित्तं वा कथयति जात्यादि वाऽऽजीवेत् ।। २० ।। यो यस्य कोऽपि भक्तो वनति तं तत्प्रशंसनेनैव । आहारार्थाय करोति वा मूढः सूक्ष्मेतरचिकित्साम् ।। २१ ॥ क्रोधफलसम्भावन-प्रत्युत्पन्नो भवति क्रोधपिण्डस्तु । गृहिणः करोति अभिमानं मायया दापयति तथा च ।। २२ ।। अतिलोभात् पर्यटति आहारार्थाय संस्तवं द्विविधम् । करोति प्रयुक्त विद्यां मन्त्रं चूर्णं च योगं च ।। २३ ।। अन्यदिह कौतुकादि वा पिण्डार्थं करोति मूलकर्म तु । साधुसमुत्था एते भणिता उत्पादना दोषाः ।। २४ ।। आहार प्राप्त करने में साधु से होने वाले दोष उत्पादन दोष हैं। इनके भेद इस प्रकार हैं - १. धात्री- बालक का पालन-पोषण करने वाली स्त्री धात्री कहलाती है। धात्री कर्म करके साधु के द्वारा भिक्षा प्राप्त करना धात्री दोष है। २. दूती – गृहस्थों को परस्पर समाचार कहकर भिक्षा प्राप्त करना दूती दोष है। ३. निमित्त.- भूत, वर्तमान एवं भविष्य के सुखदःखादि सम्बन्धी निमित्त कहकर भिक्षा प्राप्त करना निमित्त दोष है। ४. आजीव- जीवन निर्वाह हेतु साधु द्वारा जाति, कुल आदि के कर्म और शिल्प का आश्रय लेना या उन्हें किसी भी प्रकार से गृहस्थ को बतलाकर जीवन निर्वाह करना आजीव दोष है। ५. वनीपक- (याचक) साधु द्वारा गृहस्थ से साधु-जीवन की प्रशंसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy