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________________ [ द्वादश २. अपने गच्छ में दूसरे साधु वैयावृत्य करने वाले हों, जिससे स्वयं को वैयावृत्य करने का लाभ न मिलता हो । २१८ पञ्चाशकप्रकरणम् ३. अपने गच्छ में दूसरे साधु तप करने वाले हों, जिससे स्वयं तप करें तो सेवा करने वाले न मिलें। इन कारणों से वैयावृत्य और तप करने के लिए दूसरे गच्छ में जाना चाहिए ।। ४६ ।। चारित्र उपसम्पदा में अनेक विकल्प इत्तरियादिविभासा वेयावच्चम्मि तह य अविगिट्ठविगिट्ठमि य गणिणा गच्छस्स इत्वरिकादिविभाषा वैयावृत्ये तथा च अविकृष्टविकृष्टे च गणिना गच्छस्य खवगेऽवि । पुच्छाए ।। ४७ ।। क्षपकेऽपि । पृच्छया ।। ४७ ॥ वैयावृत्यसम्बन्धी तथा विकृष्ट एवं अविकृष्ट तप सम्बन्धी उपसम्पदा में इत्वर और यावत्कथिक आदि विकल्प करने चाहिए, जो इस प्रकार हैं दूसरे गच्छ से वैयावृत्य करने के लिए आने वाले के इत्वर (अल्पकालिक) या यावत्कथिक (आजीवन) ये दो विकल्प होते हैं। जिस गच्छ में आया हो उस गच्छ के आचार्य का वैयावृत्य करने वाला हो या न हो ऐसे दो विकल्प भी होते हैं। उस गच्छ में आचार्य का वैयावृत्य करने वाला हो तो इत्वर हो या यावत्कथिक हो - ये दो विकल्प भी हो सकते हैं। - वैयावृत्य में उपसम्पदा स्वीकार करने की विधि निम्नवत् है १. आचार्य का वैयावृत्य करने वाला कोई अन्य न हो तो आगन्तुक इत्वर हो या यावत्कथिक, जो भी हो स्वीकार करना चाहिए। Jain Education International ― २. वैयावृत्य करने वाला हो और वह यावत्कथिक हो और नवागन्तुक भी यावत्कथिक हो तो दोनों में जो लब्धिसम्पन्न हो उसे आचार्य को अपने पास रखकर वैयावृत्य कराना चाहिए और दूसरे को उपाध्याय आदि को सौंप देना चाहिए। - ३. यदि दोनों लब्धिसम्पन्न हों तो जो पहले से पास में हो उसे अपने पास रखना चाहिए और नवागन्तुक को उपाध्याय आदि के पास भेज देना चाहिए। ४. यदि नवागन्तुक को उपाध्यायादि के पास जाना स्वीकार्य न हो और पहले वाला उनके पास जाने हेतु सम्मत हो तो पहले वाले को उपाध्यायादि के पास भेजकर नवागन्तुक को अपने पास रखना चाहिए। ५. यदि पहले वाला उपाध्यायादि के पास जाने को तैयार न हो तो For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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