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________________ २०२ पञ्चाशकप्रकरणम् [ द्वादश 'आवश्यक कार्य के लिए बाहर जा रहा हूँ' इसके सूचक के रूप में 'आवस्सहि' कहना। ५. निषीधिका- अशुभ प्रवृत्तियों का त्याग करके गुरु अथवा देव के अवग्रह में प्रवेश करना और उसका सूचक 'निसीहि' शब्द कहना। ६. आपृच्छना - कोई भी कार्य गुरु से पूछकर करना। ७. प्रतिपृच्छना - गुरु ने पहले जिस कार्य के लिए मना किया हो, बाद में उसको करने की आवश्यकता पड़ने पर गुरु से फिर पूछना। ८. छन्दना - आहार-पानी लाने के बाद गुरुजी से उसे स्वीकार करने हेतु निवेदन करना। ९. निमन्त्रणा - आहार-पानी लेने जाने के पहले गुरुजी से पूछना। १०. उपसम्पदा- ज्ञानादि गुणों की आराधना के लिए गुरु की आज्ञा पूर्वक अन्य आचार्य के पास रहना। उपर्युक्त सामाचारियों का यथासमय पालन करना चाहिए, क्योंकि यथासमय सामाचारी का पालन करने से ही वह फलदायी होती है। अब प्रत्येक सामाचारी का क्रमशः विस्तृत विवेचन किया जा रहा है ।। २-३ ।। इच्छाकार सामाचारी का विवरण अब्भत्थणाइ करणे कारवणेणं तु दोण्हऽवि उचिए । इच्छक्कारो कत्थइ गुरुआणा चेव य ठितित्ति ।। ४ ।। अभ्यर्थनायां करणे कारणेन तु द्वयोरपि उचिते । इच्छाकारः क्वचिद् गुर्वाज्ञा चैव च स्थितिरिति ।। ४ ।। दूसरों से कोई काम कराना हो या दूसरों का कोई काम करना हो तो 'यदि आपकी इच्छा हो तो करें इस आशय का कथन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि किसी की भी इच्छा के प्रतिकूल काम कराना या काम करना बलात्कार है, जो कि आप्तवचन के विरुद्ध है। बीमारी आदि विशेष परिस्थितियों में दूसरों से काम कराना या दूसरे का करना चाहिए। इसमें भी रत्नाधिक अर्थात् ज्ञान, दर्शन और चारित्र में अपने से ज्येष्ठ से काम नहीं करवाना चाहिए, क्योंकि वे पूज्य होते हैं और नवदीक्षित आदि साधुओं का कार्य करना चाहिए, क्योंकि नये होने के कारण उन्हें अमुक कार्य करना नहीं आता है, इसलिए उनकी इच्छा से उनका कार्य कर देना चाहिए। इसमें मुख्य तीन बातें कही गयी हैं - १. अकारण दूसरों से काम नहीं कराना चाहिए या दूसरों का काम नहीं करना चाहिए। २. उनकी बिना इच्छा के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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