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साधुसामाचारीविधि पञ्चाशक
नमिऊण महावीरं सामायारी जतीण वोच्छामि । संखेवओ महत्थं दसविहमिच्छादिभेदेण ॥ १ ॥
नत्वा महावीरं सामाचारीं यतीनां वक्ष्यामि । संक्षेपतो महार्थां दशविधामिच्छादिभेदेन ॥ १ ॥
भगवान् महावीर स्वामी को नमस्कार करके साधुओं की इच्छाकार आदि दस प्रकार की महान् अर्थ वाली सामाचारी को संक्षेप में कहूँगा ॥ १ ॥
करना।
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सामाचारी के दस प्रकार
इच्छा-मिच्छा-तहक्कारो आवस्सिया य
आपुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य उपसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा एएसिं तु पयाणं पत्तेय परूवणा इच्छा - मिथ्या- तथाकार आवश्यकी च आपृच्छना च प्रतिपृच्छा छन्दना च उपसम्पदा च काले सामाचारी भवेद् दशविधा एतेषां तु पदानां प्रत्येकं प्ररूपणा एषा ।। ३ ।।
तु ।
इच्छाकार, मिथ्याकार, तथाकार, आवश्यकी, निषीधिका, आपृच्छना, प्रतिपृच्छना, छन्दना, निमन्त्रणा और उपसम्पदा ये सामाचारी के दस प्रकार
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१. इच्छाकार इच्छापूर्वक दूसरों से काम कराना या दूसरों का काम
२. मिथ्याकार गलती होने पर उसे स्वीकार करके पश्चात्तापपूर्वक 'मिच्छा मे दुक्कडं' (मिथ्या मे दुष्कृतम्) कहना ।
३. तथाकार गुरुजी जो कहें उसे स्वीकार करना । ४. आवश्यकी
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णिसीहिया ।
णिमंतणा ।। २ ।।
उ ।
एसा ।। ३ ।।
निषीधिका ।
निमन्त्रणा ॥ २ ॥
आवश्यक कार्य के लिए बाहर निकलते समय
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