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________________ पञ्चाशकप्रकरणम् [ पञ्चम अपेक्षा से - दिशा के सम्बन्ध से दान दे। गृहस्थ जिस आचार्य से प्रतिबोधित हुआ हो वह उसके लिए दिश् (दिशा) होता है और धर्म पाने वाले गृहस्थ का उस आचार्य के साथ दिशा का सम्बन्ध कहा जाता है। दिशा की अपेक्षा से दान देने का तात्पर्य जिससे प्रतिबुद्ध हुआ हो उस आचार्य को दान देना है ।। ४२ ।। गरीब श्रावकसम्बन्धी दान की विधि संतेअरलद्धिजुएअराइभावेसु होइ तुल्लेसुः । दाणं दिसाइभेए तीएऽदितस्स आणादी ॥ ४३ ।। सदितरलब्धियुतेतरादिभावेषु भवति तुल्येषु । दानं दिगादिभेदे तयाऽददत आज्ञादयः ।। ४३ ।। श्रावक को भेदभाव के बिना सभी साधुओं को दान करना चाहिए, किन्तु जो श्रावक सभी साधुओं को दान देने में असमर्थ हो उसे जिस साधु के पास वस्त्रादि न हो उसको देना चाहिए। यदि सभी साधुओं के पास वस्त्रादि न हो तो जो साधु वस्त्रादि प्राप्त करने में असमर्थ हो उसे देना चाहिए। अब यदि सभी के पास वस्त्रादि हों और सभी प्राप्त करने में समर्थ हों, अथवा किसी भी साधु के पास वस्त्रादि न हों और कोई भी प्राप्त करने में समर्थ न हो, अर्थात् सभी एक समान हों तो ऐसे में सीमित शक्ति वाले श्रावक को दिशा-निर्देश करने वाले आदि सम्बन्ध के भेद से दान देना चाहिए, अर्थात् जिस साधु का अपने ऊपर उपकार हो उसको और उसके शिष्य-परिवार को देना चाहिए। ऐसी स्थिति में यदि श्रावक दिशा-निर्देशक के सम्बन्ध के अनुसार दान न दे तो जिनेश्वर की आज्ञा-भंग का दोष लगेगा ।। ४३ ।। ७. अनुबन्धद्वार प्रत्याख्यान परिणाम के अनुबन्ध का कारण भोत्तूणमुचियजोगं अणवरयं जो करेइ अवहितो । णियभूमिगाएँ सरिसं एत्थं अणुबंधभावविही ॥ ४४ ।। भुक्त्वा उचितयोगम् अनवरतं यः करोति अव्यथितः । निजभूमिकायाः सदृशम् अत्र अनुबन्धभावविधिः ।। ४४ ।। जो साधु भोजन करके मानसिक और शारीरिक उदासीनता से रहित होकर अपनी भूमिका के अनुरूप सदा उचित प्रयत्न करता है, उसके आहार के प्रत्याख्यान में अनुबन्ध भाव होता है अर्थात् उसके प्रत्याख्यान के परिणाम का विच्छेद नहीं होता है ।। ४४ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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