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पञ्चम]
प्रत्याख्यानविधि पञ्चाशक
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अशनं ओदनसक्तुकमुद्गजगार्यादि खाद्यकविधिश्च । क्षीरादि सूरणादि मण्डकप्रभृतिश्च विज्ञेयम् ।। २७ ।।
चावल आदि अनाज, सत्तू, मूंग आदि दलहन, रबड़ी और तली हुई वस्तुएँ आदि पकवान के अनेक प्रकार एवं दूध, दही, छाछ तथा सूरण आदि कन्द और सभी प्रकार की सब्जियों आदि को अशन जानना चाहिए ।। २७ ।।
पाणं सोवीरजवोदगाइ चित्तं सुराइगं चेव । आउक्काओ सव्वो कक्कडगजलाइयं च तहा ।। २८ ।। पानं सौवीरयवोदकादि चित्रं सुरादिकं चैव । अप्काय: सर्वः कर्कटकजलादिकं च तथा ।। २८ ।।
माँड़, यव आदि का धोया हुआ पानी, विविध प्रकार की मदिरा आदि, कुएँ का पानी आदि, ककड़ी खजूर आदि के भीतर का जल तथा आम आदि फलों का धोया हुआ पानी इत्यादि सभी पान जानना चाहिए ।। २८ ।।
भत्तोसं दन्ताई खज्जूरं नालकेरदक्खादी । कक्कडिगंबगफणसाइ बहुविहं खाइमं णेयं ।। २९ ।। भक्तौषं दन्तादि खजूरं नारिकेलद्राक्षादि ।। कर्कटकाम्रकपनसादि बहुविधं खादिमं ज्ञेयम् ।। २९ ।।
भुने हुए चने, गेहूँ आदि अनाज, गुड़ आदि से संस्कृत पदार्थ तथा खजूर, नारियल, द्राक्षा, ककड़ी, आम, कटहल आदि अनेक प्रकार के फल खादिम जानना चाहिए ।। २९ ।।
दंतवणं तंबोलं चित्तं तुलसीकुहेडगाई य । महुपिप्पलिसुंठाई अणेगहा साइमं होइ ॥ ३० ।। दन्तपवनं ताम्बूलं चित्रं तुलसीकुहेडकादि च । मधुपिप्पलीसुंठ्यादि अनेकधा स्वादिमं भवति ।। ३० ।।
दातून, पान का पत्ता, सुपारी, इलायची, लवंग, कर्पूर आदि सुगन्धित द्रव्यों के मिश्रण रूप ताम्बूल, तुलसी, जीरा, हल्दी, माक्षिक, पीपल, सोंठ, हरड़ आदि अनेक प्रकार के स्वादिम हैं ।। ३० ।।
लेसुद्देसेणेए भेया एएसिँ दंसिया एवं । एयाणुसारओ च्चिय सेसा सयमेव विण्णेया ।। ३१ ।।
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