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________________ ८८ पञ्चाशकप्रकरणम् . [पञ्चम अयोग्य को सामायिक देने का निषेध एत्तो च्चिय पडिसेहो दढं अजोग्गाण वण्णिओ समए । एयस्स पाइणोऽवि हु बीयं ति विही य अइसइणा ।। २० । अत एव प्रतिषेधः दृढम् अयोग्यानां वर्णित: समये । एतस्य पातिनोऽपि खलु बीजमिति विधिश्च अतिशायिना ।। २० ।। सामायिक सुभट भावतुल्य होने से अयोग्यों के लिए शास्त्र में निषिद्ध है। जो इस व्रत से पतित हो जाता है, उसके लिए भी उसके बीज मात्र संस्कार भी विशिष्ट लाभप्रद होते हैं । प्रश्न : यदि अयोग्य के लिए सामायिक निषिद्ध है तो भगवान् महावीर ने यह जानते हुए भी कि यह दीक्षा छोड़ देगा, गौतम स्वामी को भेजकर जो त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव में उन्हीं के द्वारा मारे गये सिंह का जीव था, उस किसान को दीक्षा क्यों दिलवाई? उत्तर : भगवान् यह जानने के साथ-साथ कि यह किसान दीक्षा छोड़ देगा, यह भी जानते थे कि इसके लिए थोड़े समय के लिए भी दीक्षा मुक्ति का कारण होगी । दीक्षा छोड़ने से नुकसान होगा, लेकिन उसके संस्कार रूपी बीज मात्र से नुकसान से अधिक लाभ होगा, यह जानकर भगवान् ने दीक्षा दिलवाई थी, इसलिए उसमें कोई दोष नहीं है ।। २० ।। प्रत्याख्यान में आगार मूल भाव के बाधक नहीं होते हैं तस्स उ पवेसणिग्गमवारणजोगेसु जह उ अववाया । मूलाबाहाएँ तहा णवकारइम्मि आगारा ।। २१ ।। तस्य तु प्रवेशनिर्गम-वारण-योगेषु यथा तु अपवादाः । मूलाबाधया तथा नवकारादौ आगारा: ।। २१ ।। मरना या विजय प्राप्त करना - ऐसे संकल्प वाला योद्धा भी विजय प्राप्त करने के लिए युद्ध में प्रवेश करता है, कभी मौका देखकर निकल भी जाता है, कभी स्वयं लड़ना बन्द कर देता है, कभी शत्रु को रोकता है - इस प्रकार अनेक अपवादों का सेवन करता है, लेकिन उन अपवादों से उसके मूल संकल्प पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उसी प्रकार नवकार आदि प्रत्याख्यान के आगार (अपवाद) उसके मूल भाव को प्रभावित नहीं करते हैं ।। २१ ॥ मूलाबाधा को ही स्पष्ट करते हैं। ण य तस्स तेसुऽवि तहा णिरभिस्संगो उ होई परिणामो । पडियारलिंगसिद्धो उ णियमओ अण्णहारूवो ।। २२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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