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________________ तृतीय] चैत्यवन्दनविधि पञ्चाशक ४१ उपर्युक्त विषय की उदाहरण से सिद्धि अमए देहगए जह अपरिणयम्मिवि सुभा उ भावत्ति । तह मोक्खहेउअमए अण्णेहिवि हंदि णिद्दिट्ठा ।। १२ ।। अमृते देहगते यथा अपरिणतेऽपि शुभास्तु भावा इति । तथा मोक्षहेतुरमृते अन्यैरपि हंदि निर्दिष्टाः ।। १२ ।। जैसे अमृत के शरीर में रस आदि धातु के रूप में परिणमित होने के पहले ही उसके प्रभाव से शरीर में पुष्टि, कान्ति आदि सुन्दर भाव दिखते हैं। उसी प्रकार अपुनर्बन्धक आदि जीवों में मोक्ष का हेतु शुभभावरूप अमृत एक बार उत्पन्न होने पर निश्चित रूप से भक्ति की वृद्धिरूप नये-नये शुभभाव उत्पन्न करता है। यह विषय पतञ्जलि आदि ने भी अपने योगशास्त्र आदि ग्रन्थों में कहा है ।। १२ ।। शेष भाववन्दना के लक्षण मंताइविहाणम्मिवि जायइ कल्लाणिणो तहिं जत्तो । एत्तोऽधिगभावाओ भव्वस्स इमीएँ अहिगोत्ति ।। १३ ।। मन्त्रादिविधानेऽपि जायते कल्याणिन: तस्मिन् यत्नः । इतोऽधिकभावाद् भव्यस्य अस्यामधिक इति ।। १३ ।। जिस प्रकार मन्त्रविद्या आदि विधि-विधान में जिसका अभ्युदय अवश्य होना है वही जीव प्रयत्न करता है। उसी प्रकार चैत्य-वन्दन आदि विधि में भी जिन जीवों का अभ्युदय अवश्य होना है वैसे अपुनर्बन्धकादि भव्यजीव ही प्रयत्न करते हैं। लेकिन इन दोनों में इतना भेद होता है कि मन्त्रादि के साधक को मन्त्रादि की विधि में जितना प्रयत्न करना पड़ता है, अपुनर्बन्धक आदि जीवों को चैत्यवन्दन की विधि में उससे कहीं अधिक प्रयत्न करना पड़ता है ।। १३ ।। चैत्यवन्दन मन्त्रादि से उत्तम क्यों ? एईएँ परमसिद्धी जायइ जत्तो दढं तओ अहिगा । जत्तम्मिवि अहिगत्तं भव्वस्सेयाणुसारेण ।। १४ ।। एतया परमसिद्धिर्जायते यत्लो दृढस्ततोऽधिका । यत्नेऽपि अधिकत्वं भव्यस्यैतदनुसारेण ।। १४ ।। चैत्यवन्दन से परम सिद्धि होती है, क्योंकि जहाँ मन्त्रादि से केवल इस लोक में भौतिक सिद्धि उपलब्ध होती है, वहाँ चैत्यवन्दन से परमपद अर्थात मोक्ष-पद की प्राप्ति होती है, इसलिए चैत्यवन्दन आवश्यक है। यही कारण है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
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