SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४ पञ्चाशकप्रकरणम् [ द्वितीय कल्याणसम्पद अस्या हेतुर्यत गुरुः परमः । इति बोधभावत एव जायते गुरुभक्तिवृद्धिरिति ।। ४१ ।। गुरु इस दीक्षा रूपी इहलौकिक और पारलौकिक कल्याणसम्पदा का हेतु है अर्थात् गुरु की सहायता से ही दीक्षा सम्बन्धी आचार का पालन होता है। इसलिये गुरु महान् हैं और उनकी भक्ति करना उचित है --- इस प्रकार का ज्ञान होने से ही गुरुभक्ति में भी वृद्धि होती है ।। ४१ ॥ प्रस्तुत दीक्षा का अनन्तर फल इय कल्याणी एसो कमेण दिक्खागुणे महासत्तो । सम्मं समायरंतो पावइ तह परमदिक्खंपि ।। ४२ ॥ इति कल्याणी एषः क्रमेण दीक्षागुणान् महासत्त्वः । सम्यक् समाचरन् प्राप्नोति तथा परमदीक्षामपि ।। ४२ ॥ इस प्रकार क्रमश: गुणों की वृद्धि होने से महासत्त्वशाली दीक्षित जीव का कल्याण होता है तथा वह उन गुणों का सम्यक् आचरण करता हुआ क्रमश: उत्तरोत्तर अधिक शुद्ध बनकर सर्वविरति अर्थात् मुनि-दीक्षा को भी प्राप्त कर लेता है ।। ४२ ।। प्रस्तुत दीक्षा का परस्पर फल गरहियमिच्छायारो भावेणं जीवमुत्तिमणुहविउं । णीसेसकम्ममुक्को उवेइ तह परममुत्तिपि ॥ ४३ ।। गर्हितमिथ्याचारः भावेन जीवमुक्तिमनुभूय ! नि:शेषकर्ममुक्त उपैति तथा परममुक्तिमपि ।। ४३ ।। इस प्रकार सर्वविरति रूप चारित्र के प्राप्त होने पर वह भूतकाल में आचरित मिथ्याचारों की निन्दा करके, वर्तमान में उन आचारों का सेवन नहीं करके और भविष्य में उन आचारों का प्रत्याख्यान करके जीव उत्तरोत्तर विकास को प्राप्त होता हुआ जीवन्मुक्ति का अनुभव करके अन्त में सभी कर्मों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है ।। ४३ ।। दीक्षाविधि का महत्त्व दिक्खाविहाणमेयं भाविज्जंतं तु तंतणीतीए । सइअपुणबंधगाणं कुग्गहविरहं लहुं कुणइ ॥ ४४ ।। दीक्षाविधानमेतद् भाव्यमानन्तु तन्त्रनीत्या । सकृदपुनर्बन्धकानां कुग्रहविरहं लघु करोति ॥ ४४ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001701
Book TitlePanchashak Prakaranam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorSagarmal Jain, Kamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1997
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Religion, & Ritual
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy