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स्वभाव है, आपका धर्म है। जहाँ मोह होगा, राग होगा, तृष्णा होगी, आसक्ति होगी, वहाँ चाह बढ़ेगी, जहाँ चाह बढ़ेगी, वहाँ चिन्ता बढ़ेगी और जहाँ चिन्ता होगी वहाँ मानसिक असमाधि या तनाव होगा और जहाँ मानसिक तनाव या विक्षोभ है वही तो दुःख है, पीड़ा है। जिस दुःख को मिटाने की हमारी ललक है उसक जड़ें हमारे अन्दर हैं, किन्तु दुर्भाग्य यही है कि हम उसे बाहर के भौतिक साधनों से मिटाने का प्रयास करते रहे हैं। यह तो ठीक वैसा ही हुआ जैसे घाव कहीं और हो और मलहम कहीं और लगायें। अपरिग्रहवृत्त या अनासक्ति को जो धर्म कहा गया, उसका आधार यही है कि वह ठीक उस जड़ पर प्रहार करता है, जहाँ से दु:ख की विषवेल फूटती है, आकुलता पैदा होती है। वह धर्म इसीलिये है कि वह हमें आकुलता से निराकुलता की दिशा में विभाव से स्वभाव की दिशा में ले जाती है। किसी कवि ने कहा है -
चाह गई, चिन्ता मिटी मनुआ भया बेपरवाह।
जिसको कुछ न चाहिये, वह शहंशाहों का शंहशाह। निराकुलता एवं आकुलता ही धर्म और अधर्म की सीधी और साफ कसौटी है। जहाँ आकुलता है, तनाव है, असमाधि है वहाँ अधर्म है और जहाँ निराकुलता है, शान्ति है, समाधि है, वहाँ धर्म है। जिन बातों से व्यक्ति में अथवा उनके सामाजिक परिवेश में आकुलता बढ़ती है, तनाव पैदा होता है, अशान्ति बढ़ती है, विषमता बढ़ती है, वे सब बातें अधर्म हैं, पाप हैं। इसके विपरीत जिन बातों से व्यक्ति में और उसके समाजिक परिवेश में निराकुलता आवे, शान्ति आवे, तनाव घटे, विषमता समाप्त हो, वे सब धर्म है। धार्मिकता के आदर्श के रूप में जिस वीतराग वीततृष्णा और अनासक्त जीवन की कल्पना की गई है उसका अर्थ यही है कि जीवन में निराकुलता, शान्ति और समाधि आए। धर्म का सार यही है, फिर चाहे हम इसे कुछ भी नाम क्यों न दें। श्री सत्यनारायणजी गोयनका कहते हैं -
धर्म न हिन्दू बौद्ध है, धर्म न मुस्लिम जैन। धर्म चित्त की शुद्धता, धर्म शान्ति सुख चैन।। कुदरत का कानून है, सब पर लागू होय। विकृत मन व्याकुल रहे, निर्मल सुखिया होय।। यही धर्म की परख है, यही धर्म का माप।
जन-मन का मंगल करे, दूर करे सन्ताप।। जिस प्रकार मलेरिया मलेरिया है, वह न जैन है, न बौद्ध है न हिन्दू और न मुसलमान, उसी प्रकार क्रोध, मान, माया, लोभ आदि आध्यात्मिक विकृतियाँ हैं, वे भी हिन्दू, बौद्ध या जैन नहीं हैं, हम ऐसा नहीं कहते हैं कि यह हिन्दू क्रोध है यह जैन या बौद्ध क्रोध है। यदि क्रोध हिन्दू, बौद्ध या जैन नहीं है तो फिर उसका उपशपन भी
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