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प्रस्तावना
[ or मौखिक तैयार थपा पछी कर्म विषयक ग्रन्थों-छ कर्मग्रन्थ, कर्मप्रकृति, पंचसंग्रह, शतक, सप्ततिका, प्राचीनकर्मग्रन्थ वगेरेनी टीकाओ तथा चूर्णिओनुवांचन थयु. त्यार बाद पूज्य आचार्यभगवंते दिगंवर संप्रदायना गोम्मटसार, धवला, जयधवला टीका आदि ग्रन्थोनु पण अवगाहन कराव्यु. आ रीते कर्म विषयक सुंदर बोध पूज्य आचार्य भगवंतनी पुण्यनिश्रामां मुनिश्रो प्राम कर्यो, दरमियान समय मळ्तां न्यायग्रन्थोनु अध्ययन पूज्य गुरुदेव पंन्यासजी श्री भानुविजयजी गणिवर्ये कराव्यु. आगमग्रन्थो अने छेदग्रन्थोनो पण बोध कराव्यो.
कर्मसाहित्यविषयक मनन अने मंथनथी मुनिओनी बुद्धि कुशाग्र बनी, अनेक पदार्थोनी हेतुपुरस्सर विचारणाओ अने चर्चाओ मुनिमंडले करवा मांडी अने ऊंडां रहस्यो प्रगट कया. पू० आचार्यभगवंतना हृदयमा कर्मसाहित्यना सर्जननी बात तो वर्षोथी रमती ज हती. अंक पुण्यप्रभाते पूज्यपादश्रीने पुनः मनोरथ थयो के आठे करणो उपर हेतुओनी विचारणापूर्वक, विशाळ विवेचनयुक्त, मार्गणाप्रोमां सत्यदादि द्वारो बड़े कमने लगता पदाथोंनो समावेश करी कर्मसाहित्य तैयार थाय तो कर्मसाहित्यनी विशाळता जगतने जोवा मठे, तेमज हजारो वर्षों मटे या अतिविशाल कमसाहित्यनो वारसो भव्यजीवोने उच्चकोटिना द्रव्यानुयोगना चिंतन अपूर्व कर्मनिर्जरादि-आत्मकल्याणार्थे उपयोगी थाय अने जैनशासनमां कर्मसाहित्यविषयक अंक महान समृद्धि उत्पन्न थाय. पूज्यपादश्रीना आ मनोरथन प्रगट थतांनी साथे तेओश्रीना अंतेवासीओओ झीली लीधो. संवत २०१५ ना चातुर्मासमां सुरेन्द्रनगरमां बारमा तीर्थपति श्रीवासुपूज्यस्वामीनी पुण्यनिश्रामां पू० आचार्यभगवंतना शुभाशीर्वाद अन पू० पंन्यातनी कान्तिविजयजी गणिवर्य, पू० पं० हेमंतविजयजी गणिवर्य पू० पं० भानुविजयजी गणिवर्य, अ पू. पं. पद्मविजयजी गणिवर्यादिना प्रोत्साहनपूर्वक कर्मसाहित्यना विशाल सर्जनना कार्यनो प्रारंभ थयो. शरूआतमां त्रण मुनिवरोए कार्य शरू कयु, "उपशमश्रेणि" अने "क्षपकश्रेणि' ना पदार्थोनो संग्रह थयो. बीजा मुनिभगांतोने कर्मप्रकृति वगेरे कर्मसाहित्यना अभ्यास द्वारा आ कार्य माडे तैयार करवानू काम चालु हतु. जेम जेम कर्मप्रकृति वगेरे ग्रन्थोना अभ्यास द्वारा मुनिओ तैयार थया, तेम तेम तेओने आ कार्यनां पूज्य आवार्यनगते प्रवेश कराव्यो. आजे एना फलरूपे अनेक मुनिवरो प० पू० आचार्यभगवंतनी देखरेख नीचे कर्मविषयक साहित्यसर्जनमा प्रबल पुरुषार्थ करी रह्या छे.
ग्रन्थोनी रचना पद्धति पू० मुनिराजश्री जयघोषविजयजी महाराज तथा पू० मुनिराजश्री धर्मानंदविजयजी महाराज प्रस्तुत साहित्यसर्जन कार्यना अग्रणी छे. पदार्थसंग्रहमा अने अन्यमुनिओने आ सूक्ष्मविषयनी दोरवणी आपवामां तेमनो मोटो हिस्सो छे. संगृहीत पदार्थोना स्पष्टीकरणमा जुदां जुदा
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