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________________ विषय-सूची पृष्ठांक प्रकरण १९. इलोकांक १-१९ १-८ ९-९१ १-८ १०-१२ १३-१९ विषय त्रितत्त्व आत्माका स्वरूप और आत्मज्ञानका साधन आत्माके विविध रूप शिव, पृथ्वी, अप, वह्नि, वायु, वि और कामतत्त्व आत्माका सामर्थ्य आत्माको कलंकमयता ३४९-३७१ ३४९-३५१ ३५१ ३५२-३६८ ३७०-३७१ २०. ३७३-३८३ १-३४ १-८ ९-३४ मनोव्यापारप्रतिपादन योगके अंग और योगसिद्धिका साधन मनोरोध और उसका फल ३७३-३७६ ३७६-३८३ १-३८ रागादिनिवारण ३८५-३९६ मनको आत्मस्वरूपमें लीन करना रागादिकोंका प्रभाव वीतरागका महत्त्व राग, द्वेष और मोहके परिणाम १७-२० २१-३८ ३८५ ३८५-३८९ ३८९-३९० ३९१-३९६ साम्यवैभव १-३३ १-३३ ३९७-४०८ ३९७-४०८ साम्यकी आवश्यकता और साम्यफल १-४१ आर्तध्यान ५-८ ९-१३ १४-२० २१-४१ समताका कारण ध्यान सध्यानका फल असद्ध्यानका परिणाम ध्यानके भेद-सद्ध्यान और दुनि आर्तध्यानके भेद, स्वरूप और परिणाम ४०९-४२२ ४०९-४१० ४१०-४११ ४११-४१२ ४१२-४१५ ४१५-४२२ आर्तरोद्र रौद्रध्यानके भेद और स्वरूप हिंसारौद्र, मृषारौद्र, चौर्यरौद्र, विषयसंरक्षणरौद्र रौद्रध्यानका परिणाम ४२३-४३६ ४२३ ४२४-४३३ ४३३-४३६ ४-३३ ३४-४२ २५. १-३५ ध्यानविरुद्धस्थान ४३७-४४५ १-२ धर्मध्यानकी प्रशंसा ध्याताके गुण ४३७ ४३७-४३८ ३-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001696
Book TitleGyanarnav
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorBalchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1977
Total Pages828
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Dhyan, & Yoga
File Size18 MB
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