________________
तृतीय आचार्य श्री रायचन्दजी के शासनकाल की अवशेष श्रमणियाँ (वि. सं. 1878-1908 )28
Jain Education International
विशेष-विवरण
क्रम सं दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम 1. |
1 0 श्री लच्छूजी
जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् स्थान | स्वर्गवास | बड़ी रीयां चन्द्रभाणजी 1878 फा.कृ.4 नाथद्वारा
रणधीरोत ऋषभदास जी
2. | 2
श्री मगदूजी । आमेट
1879 चे. कृ. 1
लावा
हींगड़
3
- श्री झूमांजी
मालवा
1881
शिवगढ (मालवा) थांदला
श्री चंदूजी
*थांदला
- 'दूधोडिया
1881
श्री चंपाजी
0 00 0
| *कंटालिया
1881 -
For Private & Personal Use Only
7 श्री मयांजी
खेरवा
कोठारी
1879 ज्ये.शु. 2
खेरवा ।
उपवास से 10 तक क्रमबद्ध तप, 13, 15,17 दिन का तप, 1 पछेचड़ी के अतिरिक्त प्रत्याख्यान। सं. 1916 बीदासर में स्वर्गस्थ उपवास से 15 तक क्रमबद्ध 22, 30, 34, 44,54 दिन का तप, दो पछेवडी
उपरांत त्याग,सं 1915 सजानगढ मेंस्वर्गस्थ | संवत् 1916 के पश्चात् रतनगढ़ में
स्वर्ग गमन हींगोला में ऋषिराय युग में दिवंगत
-9, 11, 17,30,31 उपवासों का | उल्लेख, संवत् 1917 में दिवंगत | उपवास से 13,30, 32, 33 का तप, पारणे अभिग्रह सहित, सं. 1918 | सुजानगढ़ में स्वर्गस्थ संवत् 1896 या 97 में दिवंगत अंतिम 5 मास उपवास बेले आदि ऊपर 20 दिन तक तप, एक पछेवडी उपरांत त्या संवत् 1898 जयपुर में स्वर्गस्थ संवत् 1943-64 के मध्य दिवंगत मासखमण,, 6, 9 का तप, संवत् 1913
आमेट में पंडित मरण 15,32,30, 15, 17, 13 दिन का तप, संवत् 1932 में दिवंगत
7
1881 या 82
| श्री सरूपांजी | *चतराजी का गुडा | - ० श्री दोलांजी *पाली
पोरवाल
1882
1882 मा.शु. 8
श्री अमृतांजी ।। श्री रोडांजी
| गोगुंदा | मचीन्द
पोरवाल सिंघी
1884
- श्री जेताजी
| *रावलियां
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
1882 या 83
www.jainelibrary.org
28. मुनि नवरत्नमलजी-शासन-समुद्र भाग-7. आदर्श साहित्य संघ, चुरु (राज.) ईसवी सन् 1984 (प्र.सं.)