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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only 891 www.jainelibrary.org क्रम सं दीक्षा क्रम 19. 20. 222223 21. 27 28 23. 31 24. 32 29 30 25. 33 26. 35 29. 27. 37 28. 39 30. 31. 32. 40 41 42 43 साध्वी-नाम श्री नोजांजी n 00 DO D DO 00 श्री वन्नांजी श्री अमियांजी • श्री पेमांजी श्री जतनांजी श्री मयांजी 0000 श्री मधूजी श्री बीजांजी श्री नवलांजी श्री नवलांजी D श्री दोलांजी श्री उमेदांजी श्री नोजांजी श्री मगदूजी जन्मसंवत् स्थान बीदासर * बाजोली गगापुर * सणदरी *सणदरी *पश्चिम थली *लावा कांकरोली केलवा *खोड़ * बोरावड़ * बोरावड़ *नानसमा पिता - नाम गोत्र दीक्षा संवत् स्थान 1870 1870 या 71 सेखाणी हीरजी चावत | ★ बंवलिया *मुंहता वैद *सिंघी 1871 1872 आ 1873-74 पीथलजी चंडालिया 1874-75 - 1872 1872 1872 1873 लावा 1875 1876 1877 1877 स्वर्गवास 1879 सिरियारी 1887-1907 के मध्य 1878 के बाद 1903 लाडनूं 1916 के पश्चात् | 1887 विशेष- विवरण 1911 1899 1910 पुर 1917 पंडित मरण कांकरोली में स्वर्गगमन 1908 1916 के पश्चात तप प्रभाविका थीं। पापभीरु एवं स्फूर्तप्रज्ञ थीं। (जययुग में) सैद्धान्तिक ज्ञान, व्याख्यान में दक्ष, कई क्षेत्रों में विचरण 1872-78 के मध्य गण से पृथक् संवत् 1878 के पूर्व गण से पृथक, पति श्री रत्नजी के साथ दीक्षित हुई। पिता श्री पीथलजी ने पहिले ही दीक्षा ग्रहण कर ली थी। समाधिमरण समाधिमरण समाधि मरण स्वभाव से सरल, कोमल, परीषहजयी सरल, धैर्यवती, अंत में 7 दिन का संवारा तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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