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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org 887 क्रम सं दीक्षा क्रम 1. 2. 3. 4. vi 67 od od 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. प्रथम आचार्य श्री भिक्षुगणी के शासनकाल की अवशिष्ट श्रमणियाँ (वि. सं. 1821-59)26 साध्वी - नाम जन्मसंवत् स्थान पिता- नाम गोत्र दीक्षा संवत् स्थान विशेष- विवरण श्री मट्टुजी 1821 - O श्री अजबूजी 1821 - श्री नेतुजी 1821-33 के मध्य 1821-33 के मध्य 17. 18. 2 3 6 a 9 17 10 श्री फत्तूजी 11 श्री अखूजी 12 श्री अजबूजी 13 श्री चन्दूजी 14 श्री चैनांजी 16 श्री धन्नूजी केलीजी 18 ∞ 122 00000 19 D 23 O 24 25 O श्री जीऊजी DO श्री रत्तूजी श्री नंदूजी श्री सदांजी श्री फूलांजी श्री अमरांजी श्री रत्तूजी श्री तेजूजी I 9 11! | । । *रीयां * नाथद्वारा *कंटालिया * ढोल - कम्बोल 1833 मृ.कृ. 2 पाली 1833 मृ.कृ.2 पाली 1833 मृ.कृ.2 पाली विजयचंद लूनावत 1833 मृ. कृ. 2 पाली 1833-34 के मध्य 1833-34 के मध्य 1833-34 के मध्य 1833-34 के मध्य 1833-34 के मध्य 1860 के पूर्व 1838-44 के मध्य * तलेसरा * पोरवाल 1838-44 के मध्य 1838-44 के मध्य 1838-44 के मध्य 26. मुनि नवरत्नमलजी, शासन-समुद्र भाग-5, पृ. 5-188, जैन वि. वि. भारती लाडनूं ईसवी सन् 2003 (द्वि.सं.) स्वर्गवास 1834-52 1834-52 1837-52के मध्य पीपाड़ 1855-60 के मध्य लाटोती 1860-68 के मध्य 1860-68 संवत् 1834-37 के मध्य गण से पृथक् संवत् 1834 के लगभग गण के पृथक् पुत्र, पौत्रादिक परिवार छोड़कर दीक्षित हुई। 1837 में गण से पृथक् 1837 में गण से पृथक् 1837 में गण से पृथक् 1854 में गण से पृथक् 1837 में गण से पृथक् संवत् 1858 या 59 में गण से पृथक् संवत् 1858 या 59 में गण से पृथक् संवत् 1858 या 59 में गण से पृथक् संवत् 1858 या 59 में गण से पृथक् अग्रणी, सरल, अंत में पंडित मरण पुत्र, पौत्रादि को छोड़कर दीक्षित हुई । अंत में अनशन किया 1852-60 के मध्य गण से पृथक् 42 दिन का अनशन कर 'केलवा' में पंडितमरण के मध्य तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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