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________________ Jain Education International क्रम सं दीक्षा क्रम साध्वी-नाम 26 - श्री वन्नाजी 27 श्री बगतूजी 29 श्री नगांजी जन्मसंवत् स्थान पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् स्थान| स्वर्गवास विशेष-विवरण | 1838-44 के मध्य | 1858-60 के मध्य गण से पृथक् - *बगड़ी 1844 1879 के बाद सरल शांत प्रकृति की. अग्रगामिनी होकर विचरी ऋष्ठिाराय युग में * बगड़ी मुनि वैणीरामजी | 1844 - 1866 देवगढ़ स्वभाव सेसरल,कोमल, सतयुगी' उपाधि की बहन से अलंकृत,संवत् 1866 में संलेखना की, उसमें 1से 8 तक (5,7 छोड़कर) उपवास |किये, 10 दिन के संथारे सह दिवंगत। सिरियारी 1844-48 के मध्य | 1860-68 मध्य | अंत में अनशन *कांकरोली 1844-48 के मध्य 1852 के बाद गण से पृथक् * बूंदी (हाड़ोती) | -*सरावगी 1844-48 के मध्य 1860-68 । 7 श्री पन्नाजी ।। श्री लालांजी श्री खेमांजी खेरवा 888 For Private & Personal Use Only 000 - श्री जसूजी । श्री चोखांजी - श्री सरुपांजी कांकरोली +कांकरोली * माधोपुर |-*अग्रवाल - श्री वन्नांजी | श्री वीरांजी श्री ऊदांजी * बड़ी पादू - * दड़ीबा(पचपदरा) *कुम्हार | *सुनार 1844-48 के मध्य | संवत् 1852 के पूर्व गण से पृथक् 1844-48 के मध्य संवत् 1852 के पूर्व गण से पृथक् 1848-52 के मध्य | 1860-68 | कंटालिया में अनशन कर पंडितमरण के मध्य 1852 बड़ी पादू | 1867 कुशलपुरा| विनयवान, निर्मल चारित्री,अंत में अनज़न 1852 - | - 1854 में गण से पृथक् |1852-56 के मध्य | 1860-68 के नम्र उद्योगशील, अंत में अनज़न मध्य आमेट में 1856 1896-97 बगड़ी | अग्रणी होकर विचरी, अंत में अनज़न 1857 1872 खेजड़ला || | पंडितमरण 1859 पाली | 1870 माधोपुर |संलेखना तप में 112 दिन तप व 13 दिन आहार किया, पंडितमरण 1859 पाली 1897 जसोल प्रकृति से सौम्य.सरल और विनयवती *पोरवाल श्री झूमांजी नाथद्वारा 0 श्री नोरांजी सिरियारी । श्री कुशालांजी * पाली जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास www.jainelibrary.org श्री नाथांजी * पाली
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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