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तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
रूप में इन समणी-साधिकाओं का योगदान भी कम नहीं। श्रमणी-वर्ग अपनी मर्यादा के कारण जहां नहीं पहुंच पातीं वहां पहुंचकर ये समणियां धर्म और अध्यात्म का पाथेय प्रदान करती हैं। अपने स्थापत्य काल से ही समणीवर्ग ने कई बार सुदूरवर्ती क्षेत्रों में तथा विदेशों में जाकर जैनधर्म अणुव्रत, योग, प्रेक्षाध्यान, साधना शिविर आदि के माध्यम से धर्मसंघ की अच्छी प्रभावना की है। इनमें अनेक समणियां अत्यंत विदुषी, प्रखरवक्ता एवं लेखिकाएं हैं। कई समणियों ने उच्चकोटि के शोध-प्रबन्ध लिखकर लाडनूं विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि भी प्राप्त की हैं। कुछ प्रमुख समणियों का परिचय इस प्रकार है।
7.13.1 समणी स्थितप्रज्ञाजी (सं. 2037)
आप लाडनूं के घीया परिवार की कन्या हैं, आपने संवत् 2037 कार्तिक शु. 2 को लाडनूं में समणी दीक्षा अंगीकार की, शिक्षा के क्षेत्र में आपने एम.एम. के बाद 'संबोधि का समीक्षात्मक अध्ययन' विषय पर पी.एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। आप द्वारा संपादित ग्रंथ-प्राण-चिकित्सा, अमूर्त चिन्तन, चित्त और मन, संभव है समाधान' आदि मुख्य हैं। एम.ए. जीवन विज्ञान के 40 पाठ तथा जैनधर्म दर्शन एवं तुलनात्मक धर्मदर्शन के 10 पाठों का लेखन भी किया है।
7.13.2 समणी कुसुमप्रज्ञाजी (सं. 2037)
आपका जन्म इंदौर के मोदी परिवार में सं. 2016 को हुआ। सं. 2037 कार्तिक शु. 2 को लाडनूं में आपकी समणी दीक्षा हुई, आपने 'आवश्यक नियुक्ति' पर शोध प्रबंध लिखकर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप द्वारा रचित साहित्य-एक बूंद : एक सागर (पांच भाग), आचार्य तुलसी साहित्य : एक पर्यवेक्षण, साधना के शलाका पुरुष : गुरुदेव तुलसी, गृहस्थ योगी नेमीचंद मोदी, आचार्य तुलसी की साहित्य संपदा, पौरुष के प्रतिमान प्रकाशित हैं-व्यवहार भाष्य, नियुक्ति पञ्चक, आवश्यक नियुक्ति, व्यवहार नियुक्ति, एकार्थक कोश, देशी शब्दकोष, पिंड-ओघ-निशीथ नियुक्ति, पञ्चकल्प भाष्य, आवश्यक नियुक्ति की कथाएं (दो भाग) आदि पुस्तकों का सफल संपादन किया है। अप्रकाशित साहित्य-आचार्य तुलसी की काव्य साधना, आचार्य तुलसी नेतृत्व की कसौटी पर, आचार्य तुलसी का अध्यापन कौशल, अर्हत् प्रज्ञप्ति, आरोहण आदि हैं। आप लगभग 25 वर्षों से आगम संपादन कार्य में संलग्न हैं।
7.13.3 समणी उज्जवलप्रज्ञाजी (सं. 2038-वर्तमान)
आपका जन्म संवत् 2013 श्रावण शुक्ला 1 को हरियाणा प्रान्त के हांसी शहर में हुआ, आप अग्रवाल सिंगल परिवार की कन्या हैं। संवत् 2038 कार्तिक शुक्ला द्वितीया को दिल्ली में दीक्षा ग्रहण की। आपने संस्थान से एम.ए. करने के पश्चात् योग-शास्त्र एवं मनोनुशासनम्ः एक तुलनात्मक अध्ययन शोधकार्य कर रही है। 7.13.4 समणी-नियोजिका श्री अक्षयप्रज्ञाजी (सं. 2040-वर्तमान)
आपका जन्म राजस्थान के 'टापरा' ग्राम में संवत् 2017 पौष कृष्णा पंचमी को हुआ। आपने आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा अहमदाबाद में संवत् 2040 वैशाख शुक्ला 3 को 'समणी-दीक्षा अंगीकार की। आप अत्यंत विदुषी, धर्मप्रभाविका 23. पत्राचार द्वारा प्राप्त सूचना।
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