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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
समणी हैं, अपने आकर्षक व्यक्तित्व एवं सद्गुणों के कारण आप वर्तमान में विशाल समणी - संघ की नियोजिका के रूप में सम्माननीय हैं। आपने 15 बार होलेण्ड, बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैण्ड, फिनलैण्ड, इटली, लंदन, अमेरिका, कनाडा, जापान, रसिया और फ्रांस आदि देशों में जाकर प्रेक्षाध्यान, शिविर, अणुव्रत एवं जीवन विज्ञान के माध्यम से धर्म का प्रचार-प्रसार किया है।
7.13.5 समणी भावितप्रज्ञाजी (सं. 2040 )
आप समदड़ी के ढेलड़िया परिवार की कन्या हैं। अहमदाबाद में वैशाख शु. 3 सं. 2040 में आप समणी जीवन में प्रविष्ट हुईं। आपने विश्व भारती से एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की । श्रपद टपमू व सपमि आपकी साहित्य कृति है। धर्मप्रचार की दृष्टि से आप दस बार विदेश यात्रा कर चुकी हैं, विदेशों में अमेरिका, लंदन, जापान, हांगकांग, होलेण्ड, इजराइल, बेल्जियम, ताइवान, थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, सिंगापुर, इटली, जर्मनी, कनाडा, रोमानिया और पेरिस देश आपके प्रचार के प्रमुख क्षेत्र रहे।
7.13.6 समणी मंगलप्रज्ञाजी (सं. 2041 )
आप मोमासर के सेठिया परिवार की कन्या हैं, संवत् 2041 वैशाख कृ. 9 को मोमासर में आपने समणी दीक्षा अंगीकार की। शिक्षा के क्षेत्र में एम.ए. के पश्चात् 'जैन आगमों का दार्शनिक चिन्तन' विषय पर शोधपरक प्रबन्ध लिखकर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की । 'आर्हती दृष्टि', 'व्रात्यदर्शन' आपकी साहित्यिक कृतियाँ हैं। 17 जुलाई 2006 ई. में आपको जैन विश्व भारती संस्थान मान्य वि.वि. लाडनूं में प्रथम प्रो. वाइस चांसलर (सहायक कुलपति) नियुक्त किया है। इस प्रकार का महत्त्वपूर्ण पद किसी समणी को प्रथम बार प्राप्त हुआ है। 24
7.13.7 समणी निर्वाणप्रज्ञाजी (सं. 2043 )
आप भी झाबुआ के कोटड़िया परिवार की कन्या हैं। राजसमन्द में ही चैत्र शु. 9 को दीक्षित हुई । 'अहिंसा का शिक्षण-प्रशिक्षण : एक समीक्षात्मक अध्ययन' विषय पर शोध-प्रबन्ध लिखकर आपने पी. एच. डी. की उपाधि अर्जित की।
7.13.8 समणी चैतन्यप्रज्ञाजी (सं. 2043 )
आपका जन्म झाबुआ (म. प्र. ) के कोटड़िया परिवार में हुआ। संवत् 2043 चैत्र शुक्ला 15 राजसमन्द में दीक्षा अंगीकार की, आप एम. ए. पी. एच. डी. हैं। 'भगवती का दार्शनिक वैज्ञानिक अध्ययन' विषय पर शोध प्रबंध लिखा। आपकी एक कृति Scientific vision of Lord Mahavira प्रकाशित है। आप एकबार इण्डोनेशिया जाकर धर्मप्रचार भी कर चुकी हैं।
7.13.9 समणी ज्योतिप्रज्ञाजी (सं. 2043 )
आप राजस्थान में नोहर ग्राम की हैं, भाद्रपद शुक्ला 15 को लाडनूं में दीक्षित होकर आपने एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की। एक बार मास्को, नेपाल की यात्रा भी कर चुकी हैं। आपकी साहित्य कृतियां - 'साहस भरी कहानी' और 'परमार्थ' ये दो पुस्तकें हैं।
24. अ.भा. तेरापंथ टाइम्स 24-30 जुलाई 2006, पृ. 1.
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