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क्रम संख्या दीक्षा क्रम
74.
75.
Ø Ø Å 2 2 2 2 2 2 2 2
76.
77.
78.
79.
80.
81.
82.
83.
84.
85.
87.
88.
89.
90.
91.
92.
93.
94.
95.
96.
99
100
101
102
103
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106
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108
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119
120
साध्वी नाम
श्री सुमित्र श्रीजी
श्री कुसुमप्रभाजी
श्री मर्यादाप्रभाजी
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श्री आस्था प्रभाजी
श्री मुदिताश्रीजी
श्री मुक्ता प्रभाजी
श्री कल्पयशाजी
श्री आत्मयशाजी
श्री मयंकप्रभाजी
श्री अर्हं प्रभाजी
श्री सुमेधाश्रीजी
श्री महिमा श्रीजी
श्री मंजुला श्रीजी
श्री भीरवांजी
श्री महनीय प्रभाजी
श्री सुरभि प्रभाजी
श्री स्वस्तिक प्रभाजी
श्री कौशल प्रभाजी
श्री जीतयशा जी
श्री कान्ताश्रीजी
श्री लक्ष्मीकुमारीजी
श्री शारदाप्रभाजी
जाति
अग्रवाल
सिंधवी
मेहता
कोठारी
मादरेचा
सींची
मालू
लड़ा
गेलड़ा
सालेचा
अग्रवाल जैन
शंका
सालेचा
खोटेड़
चोरड़िया
दूगड़
दूगड़
चौपड़ा
मालू
बैद
संघवी
अग्रवाल जैन
जन्म- संवत्
878
26.6.1976
24.9.1990
2021
2025
2031
2032
2030
2033
11.12.1968
8.10.1976
3.12.1979
18.04.1980
1970
2032
2036
2038
2040
2039
2005
2005
2035
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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
दीक्षा-संवत्
जन्म-स्थान
हांसी
चारभुजा (गाडबोर)
कोयल
रामसिंहजी का गुड़ा
चारभुजा
श्री डुंगरगढ़
श्री डुगरगढ़
शाहदा
शाहदा
कानावा
टिटिलागढ़
बालोतरा
बालोतरा
पाली
लोकही (लाड़नू)
लाडनू
लाडनू
गंगाशहर
श्री डूंगरगढ़
रत्नगढ़
7.13 तेरापंथ समणी संस्था का विकास एवं उसका अवदान (सं. 2037 से वर्तमान )
आचार्य श्री तुलसी ने तेरापंथ धर्मसंघ में 'समण - समणी दीक्षा' का एक सराहनीय कार्य किया। इसका शुभारम्भ 9 नवम्बर 1980 को जैन विश्व भारती लाडनूं में हुआ, उसमें सर्वप्रथम छह मुमुक्षु बहनों ने समणी दीक्षा अंगीकार की - 1) समणी स्थितप्रज्ञाजी, 2) समणी स्मितप्रज्ञाजी, 3) समणी मधुप्रज्ञाजी, 4) समणी कुसुमप्रज्ञाजी, 5) समणी सरलप्रज्ञाजी, 6) समणी विशुद्ध प्रज्ञाजी। तब से लेकर आज तक (संवत् 2063) 178 कन्याएँ समण श्रेणी में प्रविष्ट हो चुकी हैं, इनमें 62 समणियों की मुनि दीक्षा हो गई है। समण श्रेणी साधु और श्रावक की मध्यवर्ती कड़ी है, इस 22. (क) तेरापंथ परिचायिका । (ख) पत्राचार द्वारा प्राप्त ।
बाव/अहमदाबाद
वंदनी कलां
2060
2061
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