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तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
दीक्षा स्वीकार की, तत्पश्चात् माघ शुक्ला 5 संवत् 2052 को लाडनूं में आचार्य महाप्रज्ञजी से श्रमणी दीक्षा ग्रहण की। आपने यथोचित ज्ञानार्जन के साथ सैकड़ों उपवास, 15 तेले, 1 अठाई और 4 दस प्रत्याख्यान तप किया। प्रतिदिन सैकड़ों गाथाओं का स्वाध्याय भी करती हैं। 7.12.9 श्री भावयशाजी (सं. 2052-वर्तमान) 10/9
आपका जन्म कालू (बीकानेर) निवासी हीरालालजी के यहां संवत् 2028 में हुआ। छह वर्ष संस्था में शिक्षा प्राप्त कर संवत् 2052 को बीदासर में समणी दीक्षा अंगीकार की। नौ मास पश्चात् माघ शुक्ला 5 संवत् 2052 में भावप्रज्ञा जी 'भावयशाजी' नामान्तर से श्रमणी बनीं, अद्यतन ज्ञान एवं तप में संलग्न हैं। 7.12.10 श्री सुनंदाश्रीजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/10
आप लाडनूं के दूगड़ गोत्रीय कमलसिंहजी की सुपुत्री हैं। 22 वर्ष की वय में संवत् 2053 द्वितीय आषाढ़ शुक्ला 6 को लाडनूं में दीक्षा ग्रहण की। आप महाश्रमणी साध्वी प्रमुखाजी के सान्निध्य में तप-संयम मार्ग पर अग्रसर हैं। 7.12.11 श्री वंदनाश्रीजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/11
आप डूंगरगढ़ निवासी विजयसिंहजी छाजेड़ की कन्या हैं, 15 वर्ष की लघुवय में संवत् 2053 द्वितीय आषाढ़ शुक्ला 6 को लाडनूं में आपकी दीक्षा हुई आप महाश्रमणीजी के सान्निध्य में सेवार्थिनी बनकर विचरण कर रही हैं, अंग्रेजी में विशेष रुचि रखती हैं, प्रतिवर्ष प्रायः 30 उपवास व एक अठाई तप करती हैं। 7.12.12 श्री स्मितप्रभाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/12
आपका जन्म सं. 2024 जसोल ग्राम में देवचंदजी ढेलड़िया के यहां हुआ। सात वर्ष संस्था में रहने के पश्चात् सं. 2050 को समण दीक्षा एवं संवत् 2053 माघ शुक्ला 13 को बीदासर में श्रमणी दीक्षा अंगीकार की। समणी स्मितप्रज्ञा से श्रमणी स्मितप्रभा बनकर आपने ज्ञान व कला के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की। साथ ही उपवास से 11 दिन तक लड़ीबद्ध तप किया, प्रत्येक श्रावण-भाद्रव में आप एकांतर करती हैं, आयंबिल दस प्रत्याख्यान भी कई बार किये।
7.12.13 श्री सरसप्रभाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/13
आपका जन्म बालोतरा के शिवलालजी ढेलड़िया के यहां संवत् 2025 में हुआ। सात वर्ष साधनाभ्यास करके संवत् 2050 में समणी सरसप्रज्ञा एवं तीन वर्ष पश्चात् श्रमणी सरसप्रभा के रूप में दीक्षा अंगीकार की। तब से ज्ञान के साथ अब तक 300 उपवास, 10 बेले व 1 चोला किया है। स्वाध्याय, मौन, ध्यान, जप आदि का क्रम भी चलता है।
7.12.14 श्री गौरवप्रभाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/14
आप जसोल निवासी चंदनमल जी ढेलड़िया की पुत्री हैं। सात वर्ष संस्था में रहकर स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की, पश्चात् 24 वर्ष की वय में समणी दीक्षा एवं संवत् 2053 माघ शुक्ला 13 को श्रमणी दीक्षा ग्रहण की, समणी के रूप में आप गुप्तिप्रज्ञाजी के नाम से प्रसिद्ध थीं।
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