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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 7.12.15 श्री ललितयशाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/15 आपका जन्म संवत् 2026 को मद्रास के पगारिया गोत्रीय श्री भंवरलालजी के यहां हुआ तथा विवाह मुथा परिवार में हुआ। पति परित्यक्ता होने पर तीन वर्ष संस्था में रहीं, संवत् 2052 लाडनूं में लाभप्रज्ञा समणी के रूप में दीक्षा ली, और एक वर्ष पश्चात् ही श्रमणी दीक्षा लेकर आत्म साधना के मार्ग में संलग्न हैं। 7.12.16 श्री सौरभप्रभा जी (सं. 2053 ) 10/16 आपका जन्म संवत् 2023 धूलिया के मंदाण गोत्रीय रामचंद्रजी के यहां हुआ। आपने वैराग्य अवस्था में संस्थान से एम.ए. किया। आचार्य महाप्रज्ञजी से संवत् 2053 माघ शुक्ला 13 को बीदासर में श्रमणी दीक्षा ली। 7.12.17 श्री चैत्यप्रभाजी (सं. 2053 ) 10/17 आपने भी आचार्य महाप्रज्ञजी से माघ शुक्ला 13 को बीदासर में साध्वी दीक्षा अंगीकार की। संस्थान में एम. ए. परीक्षा उत्तीर्ण की। आप सैकड़ों उपवास, 4 बेले, एक तेला और दो बार दस प्रत्याख्यान कर चुकी हैं। आप मालूगोत्रीय श्री इन्द्रचंद डूंगरगढ़ वालों की कन्या हैं। 7.12.18 श्री मृदुयशाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/18 आप बालोतरा के बैदमूथा श्री घेवरचंदजी की सुपुत्री हैं। 19 वर्ष की वय में माघ शुक्ला 13 बीदासर में आपकी दीक्षा हुई। दीक्षा के पश्चात् एक हजार गाथाएं कंठस्थ की एवं प्रतिदिन 500 गाथाओं का स्वाध्याय यथाशक्य तप, ध्यान, मौन आदि भी करती हैं। 7.12.19 श्री उदितयशाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/19 आप जसोल निवासी मीठालालजी सालेचा की सुपुत्री हैं। 21 वर्ष की वय में माघ शुक्ला 13 को बीदासर में दीक्षित हुईं। आप यथाशक्य ज्ञान, स्वाध्याय, तप, सेवा व साधना में संलग्न हैं। 7.12.20 श्री मलयश्रीजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/20 __ आप उदितयशाजी की भगिनी हैं, 18 वर्ष की उम्र में बहिन के साथ ही बीदासर में आपकी दीक्षा हुई। आप प्रतिवर्ष 30 उपवास व सवा लाख का जाप करती हुई गुरु-चरणों में साधनारत हैं। 7.12.21 श्री चारुप्रभाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/21 आपका जन्म रतनगढ़ के मोतीलालजी हींगड़ के यहां संवत् 2024 में हुआ। 30 वर्ष की वय में संवत् 2053 फाल्गुन शुक्ला 6 को डूंगरगढ़ में आपकी दीक्षा हुई। आप आगम, स्तोक व संस्कृत आदि की ज्ञाता हैं अनेकों उपवास, दो, तीन, चार, सात और आठ की तपस्या भी की है। 7.12.22 श्री मलययशाजी (सं. 2053-वर्तमान) 10/22 आपने संवत् 2026 को उधना-सूरत में श्री कांतिलालभाई गांधी के यहां जन्म लिया, प्राक् स्नातक द्वितीय वर्ष तक अध्ययन कर फाल्गुन शुक्ला 6 के दिन डूंगरगढ़ में दीक्षा अंगीकार की। सामान्य ज्ञान सीखकर तप के 874 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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