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7.12.4 श्री साधनाश्रीजी (सं. 2052-53 ) 10/4
आपका जन्म रतनगढ़ निवासी श्री रामलालजी गोलछा के यहां हुआ, आपकी साधनाचर्या विलक्षण है, पतिवियोग के पश्चात् सन् 79 में इन्होंने साधिका दीक्षा (समणी - दीक्षा का पूर्व रूप) ली, सन् 81 में श्रावक की 11 प्रतिमा अंगीकार की, सन् 82 में स्वयमेव एकल साध्वी दीक्षा लेकर समस्त व्रतों के पालन का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। केवल छेने के पानी के अलावा कुछ भी ग्रहण न करना यह संकल्प 6 वर्ष 21 दिन तक चला, तेरापंथ धर्मसंघ में 76 वर्ष की अवस्था में दीक्षा का एक नया रिकार्ड कायम किया, अंत में छन्ने के पानी का भी त्याग कर 24 दिन के अनशन के साथ आपका देह विलय हुआ। तपस्या में प्रतिदिन 9 से 16 घंटा ध्यान भी आपकी विशिष्ट साधना थी। एक से आठ उपवास की लड़ी, आयंबिल, उपवास बेले तेले आदि फुटकर तपस्या भी बहुत की। आप उपशान्त कषायी, भद्र परिणामी एवं दृढ़ मनोबली थीं।
7.12.5 श्री सरलयशाजी (सं. 2052 ) 10/5
आपने समण-दीक्षा के शुभारम्भ में समणी बनकर अपना महनीय योगदान दिया 15 वर्ष समणी - पर्याय में धर्म प्रचार कर श्रमणी के रूप में दीक्षित हुईं। आप 'अहिंसा व शांति शोध' में एम.ए. कर चुकी हैं। आप मोमासर के जंवरीमलजी सेठिया की सुपुत्री हैं।
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
7.12.6 श्री सौभाग्ययशाजी (सं. 2052 - वर्तमान) 10/6
आपका जन्म सरदारशहर निवासी श्री शुभकरणजी बरड़िया के यहां संवत् 2016 को हुआ । संवत् 2038 से 2052 तक समणी श्रुतप्रज्ञा के रूप में विदेश यात्रा, धर्म प्रचार करने के पश्चात् आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा लाडनूं में आपने श्रमणी दीक्षा अंगीकार की। आपने संस्था में रहकर 'अहिंसा व शांति शोध' विषय पर एम.ए. किया, तथा प्रेक्षाध्यान एक तुलनात्मक अध्ययन, आचार्य श्री तुलसी का अहिंसा दर्शन तथा अहिंसा दर्शन फील्डवर्क इन तीन विषयों पर शोध निबंध भी लिखे। आप सुमधुर गायिका एवं कवियित्री भी हैं। साथ ही तप के मार्ग पर चलती हुई आप उपवास से नौ तक लड़ीबद्ध तप भी कर चुकी हैं। 5 बेले, 20 तेले, 4 चोले और दस प्रत्याख्यान 5 बार, 51, 31 एकासन आदि तप किया है।
7.12.7 श्री मनुयशाजी (सं. 2052 - वर्तमान) 10/7
आप लाछूड़ा के भलावत गोत्रीय श्री मदनलालजी की सुपुत्री हैं। 25 वर्ष की अविवाहित वय में आपने समणी दीक्षा अंगीकार की, तीन वर्ष समण श्रेणी में रहकर संवत् 2052 माघ शुक्ला 5 को लाडनूं में आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा श्रमणी दीक्षा अंगीकार की। आपने साध्वोचित अध्ययन के साथ तपोमय जीवन को अपना लक्ष्य बनाया। अभी तक आप उपवास 315 बेले 20, तेले 27, चार, पांच व अठाई की तपस्या कर चुकी हैं।
7.12.8 श्री किरणयशाजी (सं. 2052 - वर्तमान) 10/8
आपने कांटाभांजी (उड़ीसा) के अग्रवाल परिवार में संवत् 2020 को श्री ज्ञानसागरजी गर्ग के यहां जन्म ग्रहण किया। छह वर्ष तक संस्था में साधनाभ्यास कर संवत् 2050 को राजलदेसर में 'कांतप्रज्ञा' नाम से समणी
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