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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास के अनशन से मृत्यु प्राप्त की। मुमुक्षु शांता बहन ने इनके जीवन का संपूर्ण वृत्तान्त 'सतयुग की यादें' पुस्तक में प्रकाशित किया है। 7.11.98 श्री संवरप्रभाजी 'नोखामंडी' (सं. 2044-वर्तमान) 9/571 मालू गोत्रीय श्री धनराजजी की आप सुपुत्री हैं, 22 वर्ष की वय में चैत्र कृष्णा 3 को 'नखणा' (हरियाणा) में दीक्षा ग्रहण की। आप दृढ़ संकल्पी व अनन्य निष्ठावान् साध्वी हैं। आप प्रत्याख्यान, 25 बार दस प्रत्याख्यान, उपवास आयंबिल से 1 से 16 तक लड़ी, मासखमण आदि तप किया। 11 दिन खाना खाकर भी पानी नहीं पिया, कुछ दिन 5 प्याले पानी जिसमें पीना, शौच आदि सब कार्य किये। यह आपकी अनूठी त्यागवृत्ति का परिचायक है। एक बार तो आपकी आंख-ज्योति समाप्त हो गई, किंतु 'ओम् भिक्षु' जाप एवं आयंबिल तप के प्रभाव से कुछ ही दिनों में आंखों की ज्योति पुनः आ गई। इस प्रकार आपने तप एवं जप की मिशाल जन-जन के हृदय में जलाई। 7.11.99 श्री आस्थाजी 'बैंगलोर' (सं. 2045-वर्तमान) 9/577 आपका जन्म संवत् 2022 रामसिंहजी का गुडा में पारसमलजी डोसी के यहां हुआ। आषाढ शुक्ला 10 को डूंगरगढ़ में आपने दीक्षा ग्रहण की। आपने गृहस्थावस्था में ही जीवन विज्ञान विषय लेकर एम.ए. किया तथा 'ब्रह्मचर्य पर्यवेक्षण' विषय पर शोध-निबंध लिखा। 7.11.100 श्री योगक्षेमप्रभाजी 'बाव' (सं. 2045-वर्तमान) 9/578 आपने भी गृहस्थ पर्याय में राजस्थान यूनिवर्सिटी से एम.ए. तक की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। 'बलिदान का इतिहास' इस मौलिक कृति की आप एवं निर्वाणश्रीजी लेखिका हैं, अनेक शोध-निबंध भी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। आपने शताधिक कविताएं, गीत आदि भी बनाये चित्रकला में भी आपकी अभिरुचि है, भिक्षु स्वामी के सात दृष्टान्तों पर कलात्मक चित्र बनाये। आपका जन्म 'बाव' (गुजरात) के मेहता परिवार में श्री मोतीभाई के यहां हुआ, सं. 2045 कार्तिक कृष्णा 8 को 25 वर्ष की वय में आपने श्री डूंगरगढ़ में दीक्षा अंगीकार की थी। 7.11.101 श्री कान्तयशाजी 'तारानगर' (सं. 2046-वर्तमान) 9/583 आपने श्री हंसराजजी लूणिया के यहां संवत् 2020 में जन्म लिया। लाडनूं में कार्तिक कृष्णा 8 को आपकी दीक्षा हुई। आगम, स्तोक के ज्ञान के साथ आपने जैन विश्व भारती से संस्कृत व प्राकृत में एम.ए. किया। तथा 'गुरुदेव तुलसी के साहित्य में अहिंसा दर्शन' विषय पर पी.एच.डी. की। सूक्ष्माक्षरों में प्याले पर कलात्मक जाल बनाकर आचार्य तुलसी से पुरस्कृत भी हुईं। आपने एक से 16 तक लड़ी व 21, 31 उपवास भी किये हैं। प्रतिवर्ष दस प्रत्याख्यान, प्रतिदिन 1000 गाथाओं का स्वाध्याय, ध्यान आदि आपके दैनिक जीवन का अंग है! 7.11.102 श्री संचितयशाश्रीजी 'सरदारशहर' (सं. 2046-वर्तमान) 9/584 _आप चंडालिया गोत्रीय श्री डालचंदजी की सुपुत्री हैं, 25 वर्ष की वय में कार्तिक कृष्णा 8 को लाडनूं में आप दीक्षित हुईं। आपने दर्शनशास्त्र तथा प्राकृत में एम.ए. किया और 'तेरापंथी साध्वी समाज में शिक्षा' विषय |868 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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