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________________ तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ उपवास, 1 से 11 तक उपवास, तीर्थंकरों की लड़ी, छोटा और बड़ा पखवासा, कंठीतप, दो वर्षीतप तीन विगय का आजीवन त्याग, बीस वर्ष से शीतकाल में एक पछेवड़ी आदि लेकर अपने जीवन को तपोमार्ग पर अग्रसर कर रही हैं। 7.11.71 श्री प्रमिलाकुमारी जी 'सुजानगढ़' (सं. 2029 - वर्तमान) 9/411 आपके पिता श्री सागरमलजी मालू हैं। आपने भी 21 वर्ष की वय में महावीर जयंती के दिन सरदारशहर में दीक्षा ग्रहण की। आपने चन्द्रकान्त - सूर्यकान्त सिंहलराजा का व्याख्यान गीतिका, कविता आदि की रचना की। सूक्ष्माक्षरों में जाल के पांच प्याले बनाये । तप के क्षेत्र में उपवासों से अधिक आयंबिल की साधना की। आयंबिल का वर्षीतप 297 आयंबिल, बेले, तेले, अठाई, 21, 27 आयंबिल किये। 7.11.72 श्री अणिमाश्री जी 'मोमासर' (सं. 2029 - वर्तमान) 9/419 आप श्री शुभकरणजी सेठिया की सुपुत्री हैं। आपने 18 वर्ष की उम्र में माघ शु. 5 को आचार्य श्री द्वारा 'मोमासर' में दीक्षा ग्रहण की। आपके साथ श्री प्रभावना श्री भी दीक्षित हुईं। आपने कई आगम, स्तोक व लगभग बीस हजार पद्य प्रमाण ज्ञान कंठस्थ किया। साहित्य के क्षेत्र में तेजसार, रत्नपाल चरित्र आदि 10 व्याख्यान, गीतिकाएं, कविता मुक्तक आदि बनाये। सं. 2054 से आप अग्रणी साध्वी हैं। 7.11.73 श्री इलाकुमारीजी 'गंगाशहर' (सं. 2030 - वर्तमान) 9/422 आपके पिता श्री बिशनचंदजी भूरा हैं। आप 18 वर्ष की वय में आचार्य तुलसी द्वारा कार्तिक शुक्ला 3 को हिसार में दीक्षित हुईं। आप तपस्विनी साध्वी हैं 26 वर्षों में 1973 उपवास, 338 बेले, 242 तेले, 47 चोले, 15 पांच, 4 छह, 2 सात, 2 अठाई, 3 नौ एवं 10 से 16 तक क्रमबद्ध तप, 21 व मासखमण, कर्मचूर, सिद्धितप, धर्मचक्र, तीर्थंकरों की लड़ी, परदेशी राजा के 12 बेले, पंचरंगी, 13 वर्षीतप उपवास से, फिर बेले - बेले वर्षीतप 2 वर्ष से गणाधिपति आचार्य तुलसी के 83 वर्षोत्सव के उपलक्ष्य में 83 चौविहार तेले आदि उग्र तपस्याएँ की । आप तपस्या के साथ प्रवचन, गोचरी आदि सेवा करके आत्मशुद्धि के मार्ग पर अग्रसर हैं। 7.11.74 श्री विमलप्रज्ञाजी 'बीदासर' (सं. 2031 - वर्तमान) 9/424 आपका जन्म श्री जीवनमलजी बोथरा के यहां हुआ। आपने 24 वर्ष की उम्र में सं. 2031 कार्तिक शु. 6 को भगवान महावीर निर्वाण शताब्दी के अवसर पर दिल्ली लाल किले के सामने जैन धर्म के चारों सम्प्रदाय के आचार्यों के सान्निध्य में आचार्य तुलसी के द्वारा दीक्षा अंगीकार की। श्री विमलप्रज्ञाजी दीक्षा के पश्चात् शोधकार्य में अपना योगदान दे रही हैं। आपने 'देशी शब्दकोश', 'श्री भिक्षु आगम विषय कोश', 'संजमं शरणं गच्छामि', 'बालतत्वबोध' पुस्तकें लिखीं। कुछ वर्षों तक अणुव्रत का स्थायी स्तम्भ 'संयम ही जीवन' लिखा । 7.11.75 श्री प्रियंवदाजी 'मद्रास' (सं. 2031 - वर्तमान) 9/427 श्री विजयराजजी वैदमूथा आपके पिताश्री हैं, संवत् 2011 में आपका जन्म हुआ। आप भगवान महावीर के 2500 वें निर्वाण महोत्सव पर कार्तिक शुक्ला 6 को दिल्ली में दीक्षित होने वाली श्रमणियों में से एक हैं। आप Jain Education International 863 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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