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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास उपलब्ध है, संगीत क्षेत्र में कई बार संघीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त किया है। कला के कार्य भी आप तन्मयता से कुशलतापूर्वक करती हैं। 7.11.66 श्री सोमलताजी 'गंगाशहर' (सं. 2025 - वर्तमान) 9 / 390 श्री रतनलालजी बैद की आप सुपुत्री हैं, 17 वर्ष की वय में कार्तिक कृ. 8 को मातुः श्री वंदनाजी के सान्निध्य में साध्वी प्रमुखा लाडांजी के द्वारा बीदासर में आप दीक्षित हुईं आपकी गीतों की दो पुस्तकें प्रकाशित हैं- स्वर निकुंज व स्वर लहरी । संवत् 2038 से आप अग्रणी साध्वी हैं। 7.11.67 श्री संवेगप्रभाजी 'गंगाशहर (सं. 2027 - वर्तमान) 9/401 आपका जन्म गंगाशहर के श्री रामलालजी डागा के यहां हुआ, तथा विवाह लूणकरणसर के छाजेड़ परिवार में हुआ। पतिवियोग के पश्चात् 20 वर्ष की उम्र में आपने आचार्य श्री तुलसी से लाडनूं में चैत्र कृष्णा 5 के दिन दीक्षा ग्रहण की। आपने हाड़ारानी आदि पांच सात व्याख्यान व गीतिकाएं निर्मित कर साहित्य - सेवा में योगदान दिया। आप कार्यकुशल विदुषी सेवाभाविनी साध्वी हैं। 7.11.68 श्री कनकरेखाजी 'श्री डूंगरगढ़' (सं. 2027 - वर्तमान) 9/403 आप घीया गोत्रीय श्री महालचंदजी की कन्या हैं। आप संवेगप्रभाजी के साथ दीक्षित हुईं। आपने अवधान विद्या के प्रयोग कई बड़े-बड़े क्षेत्रों में कर शासन - प्रभावना में योगदान दिया। सं. 2054 से आप अग्रणी साध्वियों में गिनी जाती हैं। 7.11.69 श्री ध्यानवतीजी 'सुजानगढ़' (सं. 2027-29 ) 9 / 404 आपके पिता श्री लिखमीचंदजी फूलफगर एवं पति 'सांडवा' निवासी श्री जेठमलजी छाजेड़ थे। आप गृहस्थ जीवन में एक आदर्श श्राविका थीं, एवं विशिष्ट तपस्विनी तथा अणुव्रती के रूप में प्रसिद्ध थीं। आपने गृहस्थ में ही विविध तप का अनुष्ठान किया, जिसमें दो-चार लड़ी बीच में छोड़कर आप एक से 43 तक की लड़ी कर चुकी थीं। आपने कुल 10 हजार 911 दिन तप में व्यतीत किये, आपकी यह तपस्या संघ में एक नया कीर्तिमान प्रस्तुत करने वाली बनी । आपने संवत् 2010 में अपनी 70 वर्ष की आयु के बाद आजीवन तिविहार अनशन स्वीकार करने का कठोर संकल्प लिया था। ठीक उम्र के 70 वर्ष पूर्ण होते ही बीदासर में आचार्य तुलसी जी ने उन्हें दीक्षा प्रदान की, दीक्षा पश्चात् संथारे का संकल्प लागू नहीं होता। 15 मास आत्मसाधना कर आप सं. 2029 में लाडनूं सेवा केन्द्र में समाधिपूर्वक स्वर्गवासिनी हुईं। 7.11.70 श्री सुमनकुमारीजी 'छापर' (सं. 2029 - वर्तमान) 9/410 आप श्री शुभकरणजी दुधोड़िया की सुपुत्री हैं। 24 वर्ष की उम्र में आचार्य श्री तुलसी द्वारा चैत्र शुक्ला तेरस को सरदारशहर में दीक्षित हुईं, इनके साथ 5 कुमारी कन्याओं ने भी दीक्षा ग्रहण की। आपने योगक्षेम वर्ष में 211 उपकरणों की सिलाई जिसमें 111 उपकरणों की बारीक सिलाई कर शासन-सेवा का महनीय कार्य किया। 20 वर्षों से शीतकाल में मात्र एक पछेवड़ी लेकर शीत परिषह को सहन किया। आपने विविध तपस्याएँ की हैं -1735 Jain Education International 862 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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