SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 926
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास सिलाई, रंगाई एवं सूक्ष्मलिपि में दक्ष हैं। सैकड़ों गीतिका, मुक्तक, परिसंवाद बनाये। तथा अनेक बार सौ अवधानों का सफल प्रयोग किया। 7.11.76 श्री निर्वाणश्रीजी 'श्री डूंगरगढ़' (सं. 2031-वर्तमान) 9/429 आपका जन्म संवत् 2013 को श्री नेमीचंदजी श्यामसुखा के यहां हुआ। आप भी दिल्ली निर्वाणोत्सव पर दीक्षित हुईं। दीक्षा के पश्चात् शिक्षा केन्द्र में एम. ए. किया। 19 वर्ष गुरु सन्निधि में आपने अध्ययन-अध्यापन का कार्य किया। 'रोशनी की मीनारें' (20 महासतियों का जीवनवृत्त), 'गंगा उतरी धार में', 'बलिदान का इतिहास' आदि पुस्तकें प्रकाशित हैं। नारी से संबंधित एवं अन्य विषयों पर अनेकों लेख व शोध-निबंध लिखे। दो वर्ष विज्ञप्ति लेखन का कार्य किया। संवत् 2050 से आप अग्रणी साध्वियों में गिनी जाती हैं। 7.11.77 श्री वर्धमानश्रीजी 'दिल्ली' (सं. 2031-वर्तमान) 9/431 आप श्री चंदनबालाजी (संवत् 2016) की लघु भगिनी हैं। आप 22 वर्ष गुरुकुलवास में रहीं, दिल्ली निर्वाणोत्सव पर आपको दीक्षा दी गई। आपने साधुजीवन में जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म-दर्शन में एम. ए. किया। जैन एवं बौद्ध धर्म का तुलनात्मक अध्ययन पर शोध-निबंध लिखे। छोटे-बड़े अनेक चित्र भी आपने तैयार किये। 7.11.78 श्री स्वर्णरेखाजी 'श्री डूंगरगढ़' (सं. 2031-वर्तमान) 9/434 आपने श्री हंसराजजी घीया के यहां सं. 2013 में जन्म ग्रहण किया। माघ शु. 12 को डूंगरगढ़ में अन्य दो मुमुक्षु बहनों के साथ आप आचार्य तुलसी से दीक्षित हुईं। आप पात्रियों पर नाम देने में विशेष दक्ष हैं, लगभग 200 पात्रियों पर नाम अंकित किये हैं। कुछ कृतियों को लिखने, प्रतिलिपि करने का भी कार्य किया। उपवास से आठ दिन तक क्रमबद्ध तपस्या की, आप निष्ठावान विदुषी साध्वी हैं। 7.11.79 श्री कुंदनरेखाजी “हिसार' (सं. 2032-वर्तमान) 9/447 अग्रवाल परिवार के सिंगल गोत्रीय लाला बालचंदजी जैन की आप सुपुत्री हैं। पौष कृ. 3 को आचार्य तुलसी से लाडनूं में दीक्षित हुईं। दीक्षा के पश्चात् संस्थान से एम. ए. जैन दर्शन एवं विद्या में किया। 'वर्तमान में चेतना का स्वरूप-भावों के संदर्भ में' पी.एच.डी. का अध्ययन किया। 'रेकी' में मास्टर डिग्री प्राप्त की। आप तपस्विनी भी हैं, सैकड़ों उपवास 30 बेले, 5 तेलों के साथ नौ दिन तक क्रमबद्ध तप तथा 11, 16 उपवास किये, प्रतिवर्ष दस प्रत्याख्यान करती हैं। 7.11.80 श्री मधुस्मिताजी 'सरदारशहर' (सं. 2033-वर्तमान) 9/455 आपका जन्म संवत् 2010 में श्री सुमेरमलजी तातेड़ के यहां हुआ, आपने कार्तिक कृ. 9 को आचार्य तुलसी द्वारा सरदारशहर में दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा के पश्चात् आपने महावीर जीवन चरित्र पर संस्कृत में शताधिक श्लोक बनाये, उत्तराध्ययन के 29वें अध्ययन के आधार पर 100 श्लोक व समस्यापूर्ति पर 21 श्लोक बनाये। हिंदी, गुजराती, राजस्थानी भाषा में 8 आख्यान व लगभग 300 गीत आपके रचित हैं। प्रतिवर्ष दस प्रत्याख्यान, कुल 839 उपवास कर तप में भी अपनी रुचि प्रदर्शित की है। 864 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy