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6.7.207 आर्या वुदांजी (सं. 1952 )
सं. 1952 में वुदाजी महाराज ने 'देवकी की ढाल' की प्रतिलिपि की। यह प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम (परि. 90/450 ) में है।
6.7.208 आर्या लिछां (सं. 1953 )
राजप्रश्नीय सूत्र वृत्ति संवत् 1953 वैशाख शु. 13 गुरूवार को पूज्य नैणसुखजी की प्रति से उतारकर आर्या नंदोजी की शिष्या आर्या लिछां ने अमीचंदजी के स्थानक रोहतक में लिखा । आ. सुशीलमुनि आश्रम में उक्त प्रति की परिग्रहण सं. 90/106 है।
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
6.7.209 आर्या जीवीजी (सं.
1955-62 )
आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में श्री बुदांजी की शिष्या रूड़ीजी उनकी शिष्या जीवीजी की तीन हस्तलिखित प्रतियां संग्रहित हैं (1) दशवैकालिक सूत्र संपूर्ण, सं. 1955 आश्विन कृ. 6, (2) स्वामी वसंतरायजी का चउढालिया, सं. 1962 जेजो शहर, (3) बावनी, सं. 1962 आश्विन शु. 5
6.7.210 आर्या रूपां (सं. 1963)
महासती श्री रूकमांजी, श्री केलाजी महाराज की शिष्या रूपांजी ने किशनगढ़ सं. 1963 पोष मास में 'नेमिचरित्र' लिखा। प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है।
6.7.211 आर्या विनैजी (सं. 1964 )
प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर भंडार संख्या 80 पर अंकित 'भक्तामर स्तोत्र' की प्रतिलिपि सं. 1964 में गुरूदास द्वारा आर्या विनैजी के लिये लिखने का उल्लेख है।
6.7.212 आर्या मानकंवर ( सं. 1965 )
सं. 1965 को जावरा में आर्या झमकूजी की शिष्या मानकंवरजी ने तीन छंदों की प्रतिलिपि की - (1) पारसनाथ छंद - यह ताराचंद के पढ़ने के लिये लिखा (2) तप का छंद (3) कष्ट हरण छंद । तीनों आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है।
6.7.213 आर्या कस्तूरी (सं. 1967 )
सं. 1967 को पटियाला में आपने 'सुमतसुंदरी' की ढाल बनाई। इसकी हस्तलिखित प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है।
6.7.214 साध्वी रूपा (सं. 1969 )
'पाशा केवली भाषा' की प्रतिलिपि कर्त्री के रूप में साध्वी रूपा का नाम उल्लिखित है। 539
6.7.215 आर्या भागवंतीजी (सं. 1971 )
आर्या भागवतीजी की कई हस्तलिखित ढाल रास आदि के फुटकर पन्ने आचार्य सुशीलमुनि आश्रम में संग्रहित है। इसमें रामऋषिश्वर रचित 'रामजसरसायण (सं. 1680, अतरपुर) की प्रतिलिपि सं. 1971 कार्तिक कृ. 539 राज हिं. ह. ग्रं. सू. भाग 1 क्र. 1080 ग्रं. 6433
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