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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 6.7.191 आर्या चतरू (सं. 1915) 'मदनकुमार की ढाल' सं. 1915 वैशाख कृ. 6 को महासती गोरांजी की शिष्या आर्या चतरू ने लिपि किया। प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में संग्रहित है। 6.7.192 आर्या बुधांजी (सं. 1924-60) आप श्री रामरतनजी, स्वामी बसंतराय श्री परमानंदजी महामुनि के टोले की सती थी। अग्रवाल कुल में जन्म हुआ, नाभा (पंजाब) में विवाह हुआ, विधवा होने पर श्राविका धर्म का पालन करती हुई सं. 1924 में श्री राजादेवी सती के पास वैशाख शु. 5 मंगलवार के दिन दीक्षा ली। महान तपस्विनी साध्वी थीं, सं. 1960 चैत्र शु. पूर्णमासी बुधवार को 17 उपवास के साथ संथारा करके स्वर्गवासिनी हुई। आपकी स्मृति में श्री बख्शीरामजी ने जेजोपुर में सं. 1962 को 'सती बुधांजी का चोढालिया' बनाया। इसकी हस्तप्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम दिल्ली में है। प्रति में यह भी उल्लेख है कि आप 15 साध्वियों में अग्रणी थी। 6.7.193 साध्वी जड़ाव श्री (सं. 1926) साध्वी जड़ाव श्रीजी ने धोलराबंदर में सं. 1926 में 'सारस्वत प्रक्रिया सस्तबक गुजराती' की प्रतिलिपि की। यह प्रति बी. एल. इन्स्टी . दि. (परि. 4939) में है। 6.7.194 आर्या सुलखनीजी (सं. 1932-41) __आचार्य सुशील मुनि आश्रम में महासती राजादेवी की शिष्या सुलखनीजी की चार प्रतिलिपियाँ प्राप्त हुई हैं - (1) सुनाम शहर में सं. 1932 कार्तिक शु. 3 रविवार की श्री नंदलाल रचित 'लब्धि प्रकाश' ग्रंथ (2) सुनाम में ही सं. 1934 माघ कृ. 3 सोमवार की 'अवश्यकसूत्र' की प्रति (3) समानां शहर में सं. 1941 कार्तिक शु ___ 14 को लिखित श्री केसरराजकृत 'रामजसोरसायण'। (4) समाना में वैशाख मास सं. 1945 को मोहनविजयजी विरचित 'चंद्र चरित्र'। 6.7.195 आर्या पारबतीजी (सं. 1934) आर्या पारवतांजी ने जम्मू में 'चन्दनमलयगिरि ढाल' की रचना की, इसकी प्रतिलिपि सं. 1947 ज्येष्ठ कृ. 9 सोमवार को आर्या जसवंतीजी ने की। प्रति सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है। 6.7.196 आर्या भूरांजी (सं. 1936) प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर भंडार में उपलब्ध 'प्रतिक्रमण' की प्रति जो सं. 1936 आश्विन शुक्ला 12 रविवार को लिखी गई उसमें उल्लेख है कि यह प्रति दयाजी महाराज की शिष्या सरदारांजी महाराज उनकी शिष्या हीराजी और उनकी शिष्या भूरांजी के नेश्राय की है। 6.7.197 आर्या हंसुजी (सं. 1939) सं. 1939 फाल्गुन कृ. 10 को 'नमिपवज्जा' अध्ययन श्री तिलोकरिख ने दक्षिण ग्राम सीरूज में लिखकर 'आर्या हसु को दिया। प्रति आचार्य सुशील मुनि आश्रम नई दिल्ली में है। 6.7.198 आर्या समताजी (सं. 1939) ___ पूज्य श्री तुलसीरामजी के शिष्य ऋषि सुरग ने सं. 1939 कार्तिक शु. 1 मंगलवार के दिन "उत्तराध्ययन 36 716 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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