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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
6.7.121 आर्या पुराजी (सं. 1863)
___ सं. 1863 में आर्या केशरजी की शिष्याआर्या पुराजी ने 'अन्तकृद्दशांग सूत्र सस्तबक' की प्रतिलिपि की।। यह प्रति बी. एल. इन्स्टी . दि. (परि. 1387) में है। 6.7.122 आर्या केसरजी की शिष्या (सं. 1863)
सं. 1863 ज्येष्ठ मास में 'अन्तकृद्दशांग सूत्र' की प्रतिलिपि की में आर्या केसरजी की शिष्या का नामोल्लेख है। नाम अस्पष्ट होने से पढ़ा नहीं गया। यह प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में हैं। 6.7.123 आर्या जसा (सं. 1863)
_ 'कार्तिक शेठ का चौढालिया' सं. 1863 कार्तिक कृ. 5 में आर्या जसा द्वारा प्रतिलिपि किया गया। प्रति आ. सुशील मुनि आश्रम नई दिल्ली में है। 6.7.124 आर्या मानांजी (सं. 1864)
ऋषि जयमलजी की राजस्थानी में रचित 'परदेशी राजा की चौपई' सं. 1864 में नारनोल में आर्या वीणांजी की शिष्या आर्या मानों ने प्रतिलिपि की। यह प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 7082) में मौजुद है। 6.7.125 आर्या चुनिया (सं. 1866)
समयसुंदर उपाध्याय रचित 'शांब प्रद्युम्न चौपई' की हस्तप्रति सं. 1866 में आर्या चुनिया की लक्ष्मणापुरी में । लिखी गई प्राप्त होती है। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 7273) में उपलब्ध है। 6.7.126 आर्या सजनांजी (सं. 1867)
सजनां आर्या ने सं. 1867 को दिल्ली में 'नवतत्त्व बालावबोध' की प्रतिलिपि की। यह प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 6073) में है। 6.7.127 आर्या लालाजी (सं. 1868)
श्री भगवतीदास रचित 'पांच इन्द्रियों की चौपई' सं. 1868 में 'बिहाणी स्थल पर आर्या केसरजी की शिष्या लाला ने प्रतिलिपि की। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 254) में है। 6.7.128 आर्या रूपना (सं. 1869)
___ आर्या हेमाजी की शिष्या आर्या रूपना ने 'ईषुकार चरित्र' की सं. 1869 कार्तिक मास मंगलवार को प्रतिलिपि की। प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है।
6.7.129 साध्वी रत्नां (सं. 1870)
साध्वी रत्नां ने सं. 1870 में बावड़ी ग्राम में श्रीसार रचित 'आनंद श्रावक' कृति की प्रतिलिपि की1524
524. राज. ह. ग्रं., सू. भाग 1, क्र. 144 ग्रं. 7094
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