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________________ स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ 6.7.59 आर्या रज्जी ( 18वीं सदी) रामचंद्रमुनि रचित 'जंबूस्वामी चौपाई' ( रचना सं. 1714) की प्रतिलिपि आर्या रज्जी ने 18वीं सदी में की। प्रति बी. एल. इंस्टी. दि. (परि. 7066) में है। 6.7.60 आर्या पिरागी ( 18वीं सदी) श्री अभयदेवसूरि रचित 'जय तिहुअण स्तोत्र' की 18वीं सदी की पाण्डुलिपि में आर्या बालो की शिष्या आर्या पिरागी का प्रतिलिपिकर्त्ता के रूप में नामोल्लेख है। प्रति बी. एल. इंस्टी. दि. (परि. 8809) में है। 6.7.61 आर्या बीबी ( 18वीं सदी) उत्तरार्द्धगच्छ के अरणकमुनि रचित 'शालिभद्र की चौपाई' (सं. 1634) की प्रतिलिपि आर्या बीबी के 18वीं सदी में करने का उल्लेख है। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 7208) में है। 6.7.62 आर्या प्रभावती ( 18वीं सदी ) श्री दयासुंदरीजी की शिष्या प्रभावती ने 'जीवविचार प्रकरण' की प्रतिलिपि रंगसुंदरी पठनार्थ की । प्रति हमारी नेश्राय में है। 6.7.63 आर्या गंगाजी (18वीं सदी) आर्या कुसलांजी की शिष्या गंगाजी नई दिल्ली में है। 'भाववैराग्यशतक' की प्रतिलिपि की। यह प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम 6.7.64 आर्या नैणा ( 18वीं सदी) हरजी ऋषिजी ने 'वैराग्य शतक' की प्रतिलिपि करके आर्या नैणांजी को प्रदान की थी। प्रति आचार्य सुशील मुनि आश्रम नई दिल्ली में है। 6.7.65 आर्या सुंदरी ( 18वीं सदी) आर्या रूपीजी की शिष्या सुंदरीजी की हस्तलिखित 'कथाकोष' प्राकृत भाषा टीका की प्रति 18वीं सदी की श्री महावीर जैन पुस्तकालय चांदनी चौंक दिल्ली ( क्रमांक 108) में है। 6.7.66 आर्या सहजो ( 18वीं सदी) ' षष्टशत प्रकरणम्' की प्रतिलिपि में आर्या गोविंदीजी आर्या कुसलीजी की शिष्या आर्या सहजो का उल्लेख है। प्रति आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है । 6.7.67 आर्या लाधीजी ( 18वीं सदी) आपकी दो पांडुलिपि - 'चंदनबाला को रास' और 'श्रेयांस गीत' आ. सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली में है, इन्होंने अपने को आर्या बंदोजी की शिष्या लिखा है। Jain Education International 699 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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