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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 6.6.2.34 श्री सरदारांजी (सं. 1982)
आप उदयपुर निवासिनी थीं, आपने संवत् 1982 ज्ये. शु. 13 को की दीक्षा ली। आप सेवा भाविनी थीं।54 6.6.2.35 श्री सोभागजी (सं. 1984)
आप कानोड़ निवासिनी थीं, सं. 1984 ज्ये. शु. 5 को दीक्षा अंगीकार की, आप वैयावृत्य परायणा थीं।55 6.6.2.36 श्री सूरजजी (सं. 1982)
आप हम्मीरगढ़ की थीं, संवत् 1982 में संयम ग्रहण किया, आप वैयावृत्य परायणा थीं।56 6.6.2.37 श्री जीवनाजी (सं. 1984)
आप बीकानेर के बोथरा परिवार की वधू थीं, सं. 1984 वैशाख शु. 6 के दिन दीक्षा ग्रहण की। आप स्वाध्याय प्रेमी साध्वीजी थीं।457
6.6.2.38 श्री श्रेयाकुमारीजी (सं. 1984)
आप सोजत के श्री गुलाबचंदजी टाटिया की धर्मपत्नी थीं। सं. 1984 वै. शु. 5 को दीक्षा ग्रहण कर आप संयम और तप के मार्ग पर अग्रसर हुईं। आप नन्दीसूत्र का स्वाध्याय जब करती थीं तो श्रोता मुग्धमन से श्रवण करते थे। आप उपयोग में लाये गये वस्त्र ही ग्रहण करती थीं, नवीन वस्त्र नहीं लेती थीं।158
6.6.2.39 श्री छोटांजी (सं. 1984)
आप अजमेर के श्री मिश्रीमलजी लोढा की भतीजी और श्री रसालकंवरजी की लघु भगिनी थीं, जेठाणे ग्राम की वधु थीं। सं. 1984 मार्गशीर्ष शु. 3 को आपने संयम अंगीकार किया। आप तन तोड़कर सेवा करने वाली महासाध्वी थीं, आपकी आवाज भी मधुर थीं।459
6.6.2.40 श्री सुगन कुमारीजी (सं. 1984)
आप बीकानेर निवासी बींजराजजी सेठिया की धर्मपत्नी थीं आपने उच्च परिणामों से चारित्र अंगीकार किया। आप शास्त्रज्ञा एवं प्रभावशाली प्रवचनकर्ती साध्वी थीं। आपने मेवाड़, मालवा मारवाड़ में महती धर्म प्रभावना की। आप प्रकृति से विनयशील, क्षमाधारिणी एवं शान्तस्वभावी महासाध्वीजी थीं।460
6.6.2.41 श्री भूरांजी (सं. 1985)
आप उदयपुर निवासिनी थीं, आपके सुपुत्र का नाम श्री ख्यालीलालजी था, सं. 1985 में आपने दीक्षा ग्रहण की। आप भद्र प्रकृति की साध्वी थीं।1 452-454 वही, प1. 451 455-463. वही, पृ. 452
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