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6.6.2.21 श्री मेहताबकंवरजी (सं. 1971 )
आप पीपाड़ निवासी श्री जबरचंदजी मेहता की धर्मपत्नी थीं सं. 1971 फाल्गुन कृ. 7 को दीक्षा ग्रहण की आप गुरूणी की कृपापात्र साध्वी रहीं, किसी भी साम्प्रदायिक समस्या का समाधान करना हो तो आपसे सलाह ली जाती थी, आपने एक मास तक की तपस्याएँ की । 441
6.6.2.22 श्री राजकुमारीजी (सं. 1971-72 के मध्य )
आप जामुन्या निवासिनी थीं, आपने शास्त्रों का अच्छा अभ्यास किया, आप स्वाध्याय-प्रेमी साध्वी थीं। 442 6.6.2.23 श्री धापूजी (सं. 1972 )
आप आमेट निवासी श्री सरदारमलजी की सहधर्मिणी थीं, आप दोनों ने सजोड़े ब्यावर में दीक्षा ग्रहण की, आपका पीहर तेरापंथी मान्यता का । आप थोकड़ों की जानकार थी, एवं गायन कला उत्कृष्ट थी । 43
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
6.6.2.24 श्री चत्तरजी (सं. 1973 )
आप मंदसौर निवासी श्री सूरजमलजी की सहधर्मिणी थीं, पति से आज्ञा लेकर सं. 1973 मृगशिर कृष्णा 12 को संयम अंगीकार किया बाद में सूरजमलजी भी पूज्य श्री लालजी महाराज के पास दीक्षित हुए। आपने अपनी दादीगुरूणी श्री रत्नकुमारीजी की उन्मत्त अवस्था में जो सेवा की वह एक आदर्श थी, आप विनम्र एवं शांत स्वभावी थीं। 444
6.6.2.25 श्री चुन्नाजी (सं. 1973 )
आप बोहरा कुल में उत्पन्न हुईं, ब्यावर में ससुराल था, सं. 1973 चैत्र शु. 8 को वैराग्य की पवित्र पगडंडी पकड़कर सेवा में लीन रहीं 1 445
6.6.2.26 श्री छोटांजी (सं. 1973 )
आपका ससुराल बीकानेर में पारख परिवार में था, सं. 1973 कार्तिक शु. 13 को संयम की राह पकड़ी आपने भीनासर में स्थिरवासिनी श्री कालीजी आर्या की अंतिम समय तक वात्सल्य पूर्वक सेवा की। 446
6.6.2.27 श्री सुगनकुमारीजी (सं. 1976 )
आप ब्यावर निवासी श्री गुलाबचंदजी मकाणा की सुपुत्री थीं 15 वर्ष की अविवाहित वय में जब आप दीक्षा के लिये तत्पर हुई तो आपके काकाजी ने अजमेर-मेरवाड़ा राज्य सरकार में दीक्षा विरोधी रिपोर्ट की, आपने न्यायालय में उपस्थित होकर जिस साहस एवं निर्भीकता का परिचय दिया, उससे प्रसन्न होकर श्री चांदमलजी 441. वही, पृ. 456-57
442. वही, पृ. 448
443-449. वही, पृ. 449-50
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