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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ 6.6.2.14 श्री रत्नकुमारीजी (सं. 1965)
आप बीकानेर निवासी दानवीर सेठ भैंरोदानजी सेठिया के लघुभ्राता श्री हजारीलालजी सेठिया की धर्मपत्नी थीं, आपने साधन संपन्न एवं भरे-पूरे परिवार का त्याग कर संवत् 1965 में अत्यंत वैराग्य पूर्वक दीक्षा ग्रहण की। आप प्रकृति से शांत एवं अल्पभाषिणी साध्वी थीं।434
6.6.2.15 श्री सोभागजी (सं. 1965)
आप भद्देसर (मेवाड़) की थीं, संवत् 1965 मार्गशीर्ष कृष्णा 10 को आपने दीक्षा अंगीकार की। आप बड़ी साहसी सेवाभाविनी और उत्साही साध्वी थीं। पुराने विचार वालों को अनुकूल बनाने में सिद्धहस्त थीं, साध्वियों में आप 'भद्देसर भैरूँ' के नाम से प्रसिद्ध थीं।435
6.6.2.16 श्री हगामजी (सं. 1966)
आप जावद निवासी श्री मच्छारामजी बंबोरिया की धर्मपत्नी थीं आपने संवत् 1966 ज्ये. कृ. 1 को दीक्षा ग्रहण की, आप प्रवचनदक्ष, संयमनिष्ठ, क्रियापात्री साध्वी थीं, पुराने भजन स्तवनों द्वारा शासन की बहुत प्रभावना की।436
6.6.2.17 श्री वक्तावरजी (सं. 1966)
आप जावद निवासिनी थीं, संवत् 1966 ज्ये. शु. 5 को संयम अंगीकार किया। आप क्षमाशीला संतोषी प्रकृति की साध्वी थीं, स्तोक ज्ञान अच्छा होने से आपने कइयों को तत्त्वरसिक बनाया।437
6.6.2.18 श्री चम्पाकुमारीजी (सं. 1968) ___ आप रतलाम निवासिनी थीं, सं. 1968 के मृगशिर मास में संयम अंगीकार किया। आप प्रकृति की भद्र एवं सरलात्मा थीं।438
6.6.2.19 श्री सूरज कंवरजी (सं. 1968)
आप रामपुरा निवासिनी थीं, मृगसिर मास में साध्वी दीक्षा अंगीकार की। आप कठोर तपस्विनी साध्वी थीं, कितने ही उपवास बेले तेले आदि छोटी-छोटी तपस्याओं के साथ अक्सर मासखमण, अर्द्धमास आदि तपस्याएँ करती रहती थीं, आप समताभावी समाधिभाव में रमण करने वाली साध्वी थीं।439
6.6.2.20 श्री केशरकंवरजी (सं. 1970)
आप सोजत के सुप्रसिद्ध शास्त्रज्ञ श्रावक श्री इन्द्रचंदजी के भतीजे श्री कनकमलजी की धर्मपत्नी थीं, सं. 1970 चैत्र कृ. 10 के दिन दीक्षा ग्रहण की। आप बड़ी सेवाभाविनी साध्वी थीं, स्वयं का कार्य अस्वस्थता में भी स्वयं करने का प्रयत्न करती थीं।440 434-438. वही, पृ. 447 439. वही, पृ. 448 440. वही, पृ. 456-57
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