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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास कंवरजी की शिष्या बनीं। आप स्थानकवासी समाज की विदुषी विचारक साध्वी हैं। जैनदर्शन व अन्य भारतीय दर्शनों का आपका गहन अध्ययन है संस्कृत, प्राकृत, हिंदी, गुजराती, उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओं पर भी आपका प्रभुत्व है। आपके व्यक्तित्व में ओज और माधुर्य का सामंजस्य है, प्रवचनशैली स्पष्ट एवं निर्भीक है। आपकी कई साहित्यिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उनमें मुख्य हैं - हिम और आतम, आम्र. मंजरी, समाधिमरण भावना, उपासक और उपासना, अर्चना और आलोक, अर्चना के फूल, जैनयोग ग्रन्थ चतुष्टय। काव्य-कृतियों में अर्चनांजलि एवं सुधामञ्जरी प्रमुख हैं।
आपके उपदेशों से प्रेरित कई स्थानों पर संस्थाएँ स्थापित हुई हैं,380 जैसे-स्व युवाचार्य श्री मधुकरमुनि स्मृति सेवा ट्रस्ट (मद्रास) स्वधर्मी एवं मानवसेवा हित मद्रास, अजमेर, दादिया, किशनगढ़, जोधपुर, महामन्दिर (जोधपुर), उदयपुर, नागौर, खाचरौद एवं तबीजी (अजमेर) में समितियों की स्थापना हुई है। विरक्त भाई-बहनों की शिक्षा के लिये स्व. युवाचार्य श्री मधुकरमुनि स्मृति सेवा ट्रस्ट मद्रास में स्थापित किया है। धार्मिक सुसंस्कार एवं जीवन निर्माण के लिये अलवर, जम्मू महामंदिर इन्दौर, उज्जैन खाचरौद आदि स्थानों पर महिला मंडल, किशोर मंडल किशोरी स्वाध्याय मंडल का गठन किया। कई जैन स्थानक आप द्वारा प्रेरित आर्थिक अनुदानों से निर्मित हुए जिसमें जैनभवन (जगाधरी) मुनि श्री मांगीलाल स्मृति भवन (दादिया) वर्धमान जैन स्थानक (दौराई) ब्रज मधुकर स्मृति भवन (व्यावर) जैन भवन अजमेर का प्रवचन हॉल, जैन स्थानक (देहरादून) पू. जयमल स्मृति भवन (महामंदिर) प्रमुख हैं। इस प्रकार आप एक उच्चकोटि की योग-साधिका तो हैं ही, साथ ही धर्मवृद्धि, ज्ञान विकास, संघ समुन्नति एवं प्राणी मात्र की भलाई के लिये भी सतत चिन्तनशील हैं।381 6.5.9.14 श्री मैनासुन्दरीजी (सं. 2000 के लगभग-स्वर्गवास सं. 2062)
सौम्य स्वभाव और मधुर व्यक्तित्व की धनी साध्वी श्री मैनासुन्दरीजीशक्तियां रत्नवंश की विदुषी प्रमुखा साध्वी थीं आप अपनी ओजस्वी प्रवचन शैली और स्पष्ट विचारधारा के लिये प्रसिद्ध थीं। आपके प्रवचनों के तीन संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं (1) दुर्लभ अंग चतुष्टय (2) पर्युषण पर्वाराधन (3) पर्व सन्देश।
6.5.9.15 श्री गुलाबकुंवरजी (सं. 2008)
आपका जन्म बालचंदजी सुराणा लाम्बा (राज.) निवासी के यहां हुआ। आपकी दीक्षा मृगशिर कृ. 11 को संवत् 2008 नोखा में हुई।383 6.5.9.16 श्री उम्मेदकुंवरजी (सं. 2009)
आप ब्यावर निवासी सेठ श्री मिश्रीमलजी मुणोत की सुपुत्री हैं आपका जन्म सं. 1978 मृगशिर शु. 5 को एवं दीक्षा सं. 2009 ज्येष्ठ शु. 5 को किशनगढ़ में पंजाब के प्रख्यात संत श्री विमलमुनि द्वारा हुई। प्रारंभ से ही। 380. अर्चनार्चन, संपादिका'-साध्वी सुप्रभा 'सुधा' व्रज मधुकर स्मृति भवन, पीपलिया बाजार, ब्यावर (राज.) ई. 1988 381. वही, द्वितीय खंड, पृ. 41-43 382. प्रकाशक - सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडल, बापू बाजार, जयपुर (राज.) 383. अर्चनार्चन, पृ. 49
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