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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
6.5.8.46. श्री सम्पतकुंवरजी (सं. 1988-2028 )
आपका जन्म थांदला निवासी सागरमलजी बोथरा व माता मणीबाई के यहां हुआ, सं. 1988 फाल्गुन मास में प्रवर्तिनी श्री टीबूजी के पास दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा से पूर्व आपने अपना एक मकान थांदला संघ को अर्पित किया था। आप सरल प्रकृति की साध्वी थीं, सं. 2028 रतलाम में आपका देहान्त हुआ | 5
6.5.8.47. श्री सोहनकुंवरजी (सं. 1990-2017 )
बड़नगर के समीपस्थ ग्राम में पिता नन्दराम व माता मैनाबाई के यहां आपका जन्म हुआ। आपकी दीक्षा सं. 1990 वैशाख शुकला में 'करही' (निमाड़) में हुई। दीक्षा पूर्व आपने पूज्यपाद ताराचन्द्रजी महाराज सेजीवन पर्यन्त क्रोध न करने का प्रत्याख्यान लिया, और उसे जिंदगी अंतिम पल तक निभाया, आप किसी के साथ कभी ऊँचे स्वर से नहीं बोलीं अतः आप 'क्षमामूर्ति' के नाम से प्रसिद्ध हुईं। सं. 2017 वैशाख में चिखलवाड़ और मालेगांव के मध्य मालट्रक से दुर्घटनाग्रस्त होकर छह घंटे के संथारे के साथ आप स्वर्गवासिनी हुईं। 356 6.5.8.48. श्री रामकुंवरजी (सं. 1992 - स्वर्गस्थ )
आप श्री टीबूजी म. की लघु शिष्या थीं। दबाड़ी निवासिनी थीं। गृहवास में श्राविका व्रतों का सुंदर पालन किया। सं. 1992 में पंडित श्री सूर्यमुनिजी के मुखारविन्द से 'दबाड़ी' में दीक्षा ली। आपने धार के समीप नागदा ग्राम में संथारा पूर्वक समाधि मरण किया। 357
6.5.8.49. श्री गुलाबकुंवरजी (सं. 1993 के लगभग )
आपका जन्म सैलाना के समीप शिवगढ़ ग्राम में हुआ, तथा विवाह थांदला के प्रख्यात शाहजी कुटुम्ब में श्री खुमाणसिंहजी के साथ हुआ था। पतिवियोग के पश्चात् श्री टीबूजी महाराज की प्रशिष्या के रूप में दीक्षा अंगीकार की। आप प्रसिद्ध सुश्रावक रतनलालजी डोसी की बहिन थीं। आप भद्र परिणामी थीं, आपकी एक शिष्या श्री सज्जनकुंवरजी (येवला वाले) हैं, उनकी दीक्षा सं. 1993 मृगशिर कृष्णा 5 को हुई। आप रतलाम में कई वर्षों तक स्थिरवासिनी रहीं। 1358
6.5.8.50. श्री आनन्दकुंवरजी (
2029)
आप नागदा (धार) के नाहर परिवार की पुत्री थी, विवाह मुलथान में हुआ था, पति वियोग के पश्चात् प्रवर्तिनी श्री राजकुंवरजी के पास दीक्षा ली। सं. 2029 इन्दौर में समाधिपूर्वक देहत्याग किया। 359
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6.5.8.51. श्री मैनाकुंवरजी (सं. 2001-62 )
आप माता वृद्धिबाई और पिता लालचंदजी खाचरोद निवासी की सुपुत्री थीं। आपके परिवार में माता-पिता बहिन कौशल्याकुंवरजी ( मालवसिंहनी) भ्राता पू. श्री मानमुनिजी एवं पू. श्री कान मुनिजी आदि सभी सदस्यों ने 355. वही, पृ. 234 356. वही, पृ. 236 358. वही, पृ. 295
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357. वही, पृ. 235 359. वही, पृ. 219
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