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________________ स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ 6.5.8.36. श्री गुलाबकुंवरजी (सं. 1974 से 84 के मध्य दीक्षित) __ आप श्री टीबूजी की छठी शिष्या थीं। आप खाचरोद निवासिनी थीं। पति का नाम श्री पन्नालालजी लोढ़ा था, उनके स्वर्गवास के बाद आपने दीक्षा ग्रहण की। उज्जैन में आपका स्वर्गवास हुआ। आपकी एक शिष्या थीं-श्री वल्लभकुंवरजी, इनका जन्म थांदला के गादिया परिवार में हुआ और विवाह लोढ़ा परिवार में। पति की विद्यमानता में ही सं. 1985 में दीक्षा ली और रतलाम में देहत्याग किया।344 6.5.8.37. श्री अचरजकुंवरजी (सं. 1976- ) आप जयपुर निवासिनी थीं। वि. सं. 1976 माघ कृष्णा 11 को 24 वर्ष की उम्र में प्रव. श्री. महेताबकुंवरजी के पास दीक्षा ग्रहणकी। आप तपस्विनी साध्वी थीं।345 श्री बड़े वल्लभकुंवरजी-जोधपुर निवासनी, आपकी दीक्षा सं. 1977 फाल्गुन शुक्ला 10 को हुई, आप व्याख्यानी थीं। श्री छोटेवल्लभकंवरजी-आप भी जोधपुर की थीं, सं. 1978 मृगशिर कृष्णा 5 को दीक्षित हुई, आप सेवाभाविनी व्याख्यानी साध्वी थीं। दोनों ही प्रवर्तिनी मेहताबकुंवरजी की शिष्या थीं।346 6.5.8.38. श्री आनन्दकुंवरजी (सं. 1980- ) आप जोधपुर निवासी जाट लक्ष्मणसिंहजी और स्वरूपाबाई की कन्या थीं। नौ वर्ष की अविवाहित वय में लीमड़ी -पंचमहाल में सं. 1980 मृगशिर पूर्णिमा को श्री प्रेमकुंवरजी के पास दीक्षा अंगीकार की। आप बड़ी तेजस्विनी वक्तृत्वकला में निष्णात साध्वी थीं, परन्तु अल्पायु में ही आप स्वर्गस्थ हो गईं।347. 6.5.8.39. श्री कुन्दनकुंवरजी (सं. 1981- स्वर्गस्थ) __ आपका जन्म बांसवाड़ा-राजस्थान के श्री कस्तूरचंदजी नगावत की धर्मपत्नी श्री चुन्नीबाई की कुक्षि से हुआ, तथा विवाह 'बाजना' ग्राम के नाहर परिवार में हुआ। पतिवियोग के पश्चात् 24 वर्ष की आयु में सं. 1981 चैत्र शुक्ला 10 को प्रवर्तिनी श्री मेहताबकुंवरजी के पास दीक्षा ग्रहणकी। आप सेवाभाविनी साध्वी थीं।348 6.5.8.40. श्री सागरकुंवरजी (सं. 1981 से 84 मध्य ) आप सुखेड़ा निवासिनी थीं, चार पुत्रों को छोड़कर प्रवर्तिनी श्री मेहताबकुंवरजी के पास सं. 1981 से 84 के मध्य दीक्षा अंगीकार की।349 6.5.8.41. श्री सुन्दरकुंवरजी (सं. 1984-2023) आपका जन्म उज्जैन जिले में पिता झुम्बरलालजी व माता मैनाबाई के यहां हुआ। पति श्री मौजीलालजी जैन थे, उनके देहावसान के पश्चात् सं. 1984 मृगशिर कृष्णा 7 को थांदला में श्री गुलाबकंवरजी 'पंचेड़' के पास 344. वही, पृ. 234 345. वही, पृ. 229 346. वही, पृ. 229 347. वही, पृ. 227 348. वही, पृ. 229 349. वही, पृ. 230 655 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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