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________________ स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ 6.5.6.3 प्रवर्तिनी श्री मणीबाई (सं. 1994 से वर्तमान) आप श्री देवकुंवरबाई की शिष्या हैं, संवत् 1994 वैशाख शुक्ला 11 कच्छ माथर में आपने दीक्षा अंगीकार की। आप संस्कृत, हिंदी, गुजराती की ज्ञाता हैं, आगम और 40 स्तोक कंठस्थ हैं। आपने 4 अठाई, दो वर्षीतप, मौन एकादशी, रोहिणी तप, ज्ञानपंचमी तथा 15 आयंबिल की ओलियाँ की हैं। आपकी 5 शिष्याएँ एवं 14 प्रशिष्याएँ हैं। वर्तमान में 93 वर्ष की उम्र में आप संयम साधना में अप्रमत्त रहकर विचरण कर रही हैं। 303 6.5.6.4 श्री जयाबाई महासती (सं. 2011 से वर्तमान) आपका जन्म संवत् 1993 में हुआ, संवत् 2011 मृगशिर शुक्ला 10 को कच्छ बीदड़ा में श्री मणीबाई के पास दीक्षा अंगीकार की। आप संस्कृत प्राकृत, हिंदी गुजराती भाषा की ज्ञाता हैं, 11 शास्त्र और 60 स्तोक कंठस्थ हैं। दो वर्षीतप, वीशस्थानक ओली, 96 देवनी ओली, ज्ञानपंचमी, मौन ग्यारस आदि विविध तपस्याएँ की हैं। आप परमविदुषी साध्वी हैं, आपका मौलिक साहित्य - जया सौरभ, जया सुधारस, जया झरणां, परमात्मा परिमल आदि सात पुस्तकें प्रकाशित हैं। आपकी 10 शिष्याएँ तथा 5 प्रशिष्याएँ हैं । 304 6.5.6.5 श्री शिलाबाई (सं. 2027 से वर्तमान ) आप श्री जयाबाई की शिष्या हैं, संवत् 2027 वैशाख शुक्ला 11 के दिन कट्ठोर (गुजरात) में आप श्री प्राणलालजी स्वामी से दीक्षित हुईं। चार आगम व लगभग 70 स्तोक कंठस्थ हैं। आपने दो बार अठाई भी की है। कच्छ मोटी पक्ष में वर्तमान गादीपती श्री प्राणलालजी महाराज की आज्ञानुवर्तिनी 78 साध्वियाँ हैं, जिनमें प्रवर्तिनी श्री सुनीताबाई, श्री मणिबाई 'टोडा', श्री रूक्ष्मणीबाई, श्री दमयंतीबाई, श्री प्रभावतीबाई, श्री लीलावतीबाई, श्री मंजुलाबाई, श्री भावनाबाई, श्री निर्मलाबाई, श्री निरंजनाबाई, श्री सुभद्राबाई, श्री कस्तूरबाई, श्री नयनाबाई, श्री कोकिलाबाई, श्री सुनन्दाबाई, श्री वीरमणीबाई, श्री इन्दिराबाई, श्री श्री उज्जवलबाई, श्री गीताबाई, श्री शीलाबाई, श्री साधनाबाई, श्री शोभनाबाई, श्री करूणाबाई, श्री सुयशाबाई प्रमुखा साध्वियाँ हैं। 305 6.5.7 कच्छ आठकोटी नानी पक्ष की श्रमणियाँ (सं. 1856 ) श्री मूलचन्दजी के सप्तम शिष्य श्री इन्द्रचंदजी से कच्छ आठ कोटी संप्रदाय प्रारंभ हुआ, इनकी परम्परा के श्री डाह्याजी के दूसरे शिष्य श्री जसराजजी से आठ कोटी नानी पक्ष की शुरूआत हुई। इसमें नथुजी, हंसराजजी, व्रजपालजी, डुंगरशी, शामजी, श्रीलालजी, केशवजी आदि प्रभावक संघनायक संत हुए। वर्तमान में इस समुदाय के संघनायक आचार्य श्री राघवजी महाराज की आज्ञा में 38 श्रमणियों के नामोल्लेख प्राप्त होते हैं इनमें पदवीधर महासती श्री लक्ष्मीबाई की नेश्राय में श्री निर्मलाबाई, श्री चंद्रिकाबाई, श्री ताराबाई, श्री नेहलबाई, श्री साकरबाई, श्री कस्तूरीबाई, श्री हेमप्रभाबाई, श्री दुलारीबाई, श्री भानुबाई, श्री वेजबाई, (प्रथम), श्री निर्मलाबाई, श्री विमलाबाई, श्री रतनबाई, श्री कस्तूरबाई, श्री सुशीलाबाई, श्री दीनाबाई, श्री कमलाबाई, श्री रतनाबाई, श्री लक्ष्मीबाई, श्री साकरबाई, श्री आशाबाई, श्री नीनाबाई, श्री रतनबाई, श्री कुसुमबाई, श्री ग्रीष्माबाई, श्री देवकीबाई, श्री इलाबाई, 303-304. श्री ताराचंदजी महाराज की सूचनानुसार 305. समग्र जैन चातुर्मास सूची, 2004, पृ. 133 Jain Education International 645 For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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