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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
6.5.2.59 श्री स्वातिबाई (सं. 2033 से वर्तमान)
आप सायला के श्री भोगीलालजी की कन्या हैं, मृगशिर शुक्ला 3 को वांकानेर में दीक्षा ग्रहण की। आपने मासखमण, 36 उपवास तक की लंबी तपस्या की है। 6.5.2.60 श्री शाश्वतीबाई (सं. 2033 से वर्तमान) ___आप वांकानेर के श्री धीरजलाल शिवलालजी की पुत्री हैं। वांकानेर में ही मृगशिर शु. 7 को आप दीक्षित हुईं। मासखमण, सिद्धितप की आराधिका हैं। 6.5.2.61 श्री जयंतिकाबाई (सं. 2033 से वर्तमान)
आप 'लोंबड़ी' के श्री कपूरचंद नागरदासजी की सुपुत्री हैं। ज्येष्ठ शुक्ला 2 को लोंबड़ी में ही दीक्षा ली। आपकी स्मरणशक्ति अच्छी है, कई आगम कंठस्थ हैं। 6.5.2.62 श्री धारिणीबाई (सं. 2034 से वर्तमान)
आप श्री रसिकलाल हकमीचंद राजकोट निवासी की सुपुत्री हैं। माघ शु. 11 को वढवाण में आपने प्रव्रज्या अंगीकार की। आपने एकांतर छ8 का वर्षांतप, सिद्धितप किया है। 6.5.2.63 श्री कल्याणीबाई (सं. 2034 से वर्तमान)
आप रंगपर बेला (कच्छ) वर्तमान में मुंबई निवासी श्री शांतिलाल मंजुलाबेन की पुत्री हैं। वढवाण में माघ शु. 11 को आपकी दीक्षा हुई। आप में सेवा का गुण अच्छा है, प्रवचनशैली भी उत्तम है। 6.5.2.64 श्री अनुपमाबाई (सं. 2035 से वर्तमान)
आप वढवाण के श्री भगवानदास हरखचंद की सुपुत्री हैं। वढवाण में ही माघ कृष्णा 2 को आपने दीक्षा ली। आपको नया जानने व नया करने की बड़ी जिज्ञासा है, 17 शास्त्र आपने कंठस्थ किये हैं। 6.5.2.65 श्री हेमांगिनीबाई (सं. 2037 से वर्तमान)
आप नागनेश (वढवाण) निवासी श्री धीरजलाल अमुलखजी की सुकन्या हैं। मृगशिर शु. 3 को नगनेश में आप दीक्षित हुईं। आप ज्ञान व सेवा में रूचि संपन्न हैं। 6.5.2.66 श्री कौमुदिनीबाई (सं. 2037 से वर्तमान)
आप 'सौका' के श्री कांतिलाल हीमजीभाई की सुपुत्री हैं। पोष शु. 13 को लींबड़ी में आप दीक्षित हुई। आपको अध्ययन अध्यापन की अच्छी रूचि है। 6.5.2.67 श्री मनोज्ञाबाई (सं. 2037 से वर्तमान)
आप ‘कांचरडी' के श्री धीरूभाई डगली की पुत्री हैं। 'ढसा' ग्राम में माघ शु. 11 को आपकी दीक्षा हुई। आपने पाथर्डीबोर्ड से कई परीक्षाएँ दी हैं, बोलने व समझाने की शैली अच्छी है।
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