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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास ज्येष्ठ शु. 10 को आप दीक्षित हुईं। आप विनयी आज्ञाकारी एवं तपस्विनी हैं। मासखमण, सिद्धितप, छट्ठा वर्षीतप आदि दीर्घ तपस्याएँ की हैं।
6.5.2.52 श्री कीर्तिदाबाई (सं. 20131 से वर्तमान )
आप वढवाण के गिरधरलाल नारायणदास की कन्या हैं। कार्तिक कृ. 2 को वढवाण में दीक्षित हुईं। आप दृढ़ संकल्पी, उत्तम संयमी एवं तपस्विनी हैं, मासखमण, छट्ट का वर्षीतप सिद्धितप आदि अनेक तपस्याएँ की हैं।
6.5.2.53 श्री राजुलाबाई (सं. 2031 से वर्तमान )
आप 'रामपरा' के श्री चंदुलाल वृंदानदास' की सुपुत्री हैं। 'रामपरा' में मृगशिर शु. 2 को आप प्रव्रजित हुईं। आपका स्वर मधुर है । आपने छुट्ट का वर्षीतप सिद्धितप व 16 आदि की तपस्या की है।
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6.5.2.54 श्री नम्रताबाई (सं. 2031 से वर्तमान)
आप पोरबंदर के हरकिशनभाई की कन्या हैं। वैशाख कृ. 9 को लींबड़ी में दीक्षा अंगीकार की। आप संयम तप की साधना में संलग्न हैं।
6.5.2.55 श्री सुधाबाई (सं. 2032 से वर्तमान)
आप वढवाण के श्री चंदुलाल भगवानजी की पुत्री हैं, अमदाबाद मृगशिर शु. 10 को आपने प्रव्रज्या स्वीकार की। आपने एकांतर छट्ट, पोला अट्टम आदि की तपस्याएँ की हैं। आपको अनेक शेर-शायरी याद है, प्रवचन में उनका उपयोग कर शासन की प्रभावना करती हैं।
6.5.2.56 श्री निवृत्तिबाई (सं. 2032 से वर्तमान)
आप धोलेरा निवासी श्री शशिकांत रमणिकभाई की सुपुत्री हैं। अमदाबाद में मृगशिर शु. 10 को दीक्षित हुई । आप सेवाभाविनी तपस्विनी हैं, उपवास व छट्ट का वर्षीतप एवं अन्य भी तपाराधना की है।
6.5.2.57 श्री अर्चिताबाई (सं. 2032 से वर्तमान )
आप लींबड़ी के नारायणदास नागरदास की सुपुत्री हैं। फाल्गुन शु. 7 को लींबड़ी में दीक्षा ली। आप कार्यकुशल प्रसन्नमुद्रा वाली तपस्विनी साध्वी हैं। पोला अट्टम से वर्षीतप किया है।
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6.5.2.58 श्री सुजाताबाई (सं. 2033 से वर्तमान )
आप ‘शेखपर' के श्री माणेकचंदजी कमलाबेन की कन्या हैं। मृगशिर शु. 7 को वांकानेर में दीक्षा ली। आपने 16 उपवास, मासखमण तक की दीर्घ तपस्या की हैं।
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