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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
प्रव्रज्या अंगीकार की। आपकी मेधा तीव्र व प्रखर है, प्रकृति से ही स्वरसाम्राज्ञी हैं। अनेक भाववाही गीत आप द्वारा रचित हैं। आप तपस्विनी भी हैं। मासखमण, छठ का वर्षीतप सिद्धितप आदि विविध तपस्याएँ की हैं। 6.5.2.45 श्री निरूपमाबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
आप 'तनमनिया' ग्राम के श्री चिमनभाई जशवंतीबेन की दुलारी कन्या हैं, सुरेन्द्रनगर में मृगशिर शु. 11 को आपने संयम स्वीकार किया। आपने 5 वर्ष में विशाल आगम-साहित्य की बत्तीसी कंठस्थ कर पिछले 100 वर्षों का रिकार्ड तोड़ा है। आपके इस कंठस्थ ज्ञान का कई विबुधवर्गीय लोगों द्वारा परीक्षण किया गया और आपको समाज की ओर से 'आगम-रत्न' का पद अर्पित किया।
6.5.2.46 श्री जिज्ञासाबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
आप 'बारोई' निवासी श्री प्रेमजी नाथाभाई की पुत्री हैं। मृगशिर कृ. 11 को दादर (मुंबई) में आपकी दीक्षा हुई। आपको अनेक आगम, स्तोक आदि कंठस्थ हैं। आप समताभावी साध्वी हैं।
6.5.2.47 श्री निरंजनाबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
आप 'विंछीया' के श्री सवाईलाल हरगोविंद की सुपुत्री हैं। पोष शु. 3 को थाणा (मुंबई) में आपने दीक्षा ग्रहण की। आपने अपने जीवन में वृत्तिसंक्षेप तप की विशेष आराधना की, आहार में मात्र 5 द्रव्य का ही सेवन करती हैं. अन्य भी अनेक तपस्याएँ की हैं
6.5.2.48 श्री सुनीताबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
आप 'गोधरा' के श्री रतिलाल मनसुखलाल की पुत्री हैं, गोधरा में फाल्गुन कृ. 9 को आपने दीक्षा ग्रहण की। आप व्याख्यानी साध्वी हैं, तपस्विनी भी हैं, 5 मासखमण, 36 उपवास, सिद्धितप, छ8 का वर्षीतप आदि अनेक तपस्याएँ की हैं।
6.5.2.49 श्री अर्पिताबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
___ आप लींबड़ी के श्री चंदुलाल मणिलालजी की सुपुत्री हैं। अहमदाबाद (नगरशेठ नो वंडो) में वैशाख शु. 7 को दीक्षित हुईं। आप मौन साधिका है, मासखमण, छट्ठ का वर्षांतप आदि बड़ी तपस्याएँ की हैं। 6.5.2.50 श्री अमिताबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
आप रंगपुर वर्तमान में अमदाबाद निवासी श्री उत्तमलाल मणिलाल की कन्या हैं। आप सेवाभाविनी तपस्विनी हैं, 16, 21 आदि उपवास किये हैं।
6.5.2.51 श्री रश्मिताबाई (सं. 2030 से वर्तमान)
आपका मूल वतन 'नागनेश' है, पिता श्री शांतिभाई व्रजलाल तथा माता श्रीमति चम्पाबहन है। लींबड़ी में ।
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