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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास मोरवी की श्री मोंघीबाई आदि आर्याओं को लिम्बड़ी में दीक्षा प्रदान की थी। 248 अजरामरजी स्वामी के समय कच्छ वागड़ में उनकी आज्ञानुवर्तिनी साध्वी श्री 'वांछीबाई' के विचरण का उल्लेख भी प्राप्त होता है 1 249 6.5.1.8 श्री डाहीबाई ( स्वर्ग. 1974 ) आप भद्रात्मा पुण्य प्रभाविका थीं। आपका जन्म 'गुंदाला' में हुआ और दीक्षा भी गुंदाला में हुई। अंतिम समय आप 'मांडवी (कच्छ) में स्थिरवासिनी रहीं। सं. 1974 को भादवा सुदी पूर्णमासी के दिन आप कालधर्म को प्राप्त हुईं। 250 उस समय आचार्य मेघराजजी, आचार्य देवचन्द्रजी स्वामी थे। - 6.5.1.9 श्री संतोकबाई ( बीसवीं सदी का मध्यकाल ) आप महान वैरागी, एकांतवासी एवं अध्यात्ममार्ग की सहयोगिनी थीं, इन्हीं की परंपरा में श्री कुंवरबाई निर्भीक, साहसी व सिद्धांतप्रेमी साध्वी हुईं तथा श्री लाड़कंवरबाई भी विचक्षणा साध्वी हुईं थीं। 251 6.5.1.10 श्री केसरबाई ( 20वीं सदी का मध्यकाल ) श्री वांछीबाई महासतीजी के परिवार में श्री केसरबाई महाप्रभावशालिनी साध्वी हुईं, उनकी अनुगामिनी शिष्या श्री नाथीबाई भी बड़ी विचक्षणा थीं, ये श्री लाधाजी स्वामी तथा श्री मेघराजजी स्वामी की शिष्या थीं। उनका समय 1961 से 1971 के मध्य का है। 252 6.5.1.11 आर्या श्री पांचीबाई (सं. 1953 से 1996 के मध्य ) आप श्री केसरबाई की शिष्या श्री नाथीबाई की शिष्या थीं। साध्वी समुदाय में सर्वप्रथम संस्कृत एवं आगमों का अध्ययन करने वाली विदुषी अग्रणी साध्वी हुईं, आपने शतावधानी श्री रत्नचन्द्रजी महाराज से सूत्र वाचना ग्रहण की थी। पांचीबाई के समय कच्छ लींबड़ी में अन्य ओजस्वी वक्ता के रूप में 'श्री माणिकबाई' प्रसिद्ध साध्वी थीं इन दोनों को आचार्य श्री 'सवाया साधु' कहकर संबोधित करते थे। 253 श्री रत्नचन्द्रजी महाराज का समय 1953 से 1996 का है 254, आप इसी काल में किसी समय हुई थीं। 6.5.1.12 आर्या श्री लाड़कंवरबाई (बीसवीं सदी का मध्यकाल ) आप अतिशय पुण्यशाली, अति स्वरूपवान तेजस्वी व्यक्तित्व की धारिका थीं, आपका पवित्र चरित्रजीवन की शुद्धि करने वाला तथा अनेकों में धर्म की प्रेरणा जागृत करने वाला रहा। आप श्री पांचीबाई की शिष्या थीं। 255 247-248. डॉ. सागरमलजी जैन, स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास, पृ. 302-303 249. साध्वी सुलोचना स्मृति ग्रंथ, पृ. 11, स्था. छ कोटि जैन संघ, समाघोघा (कच्छ) 250. वात्सल्य नी वहेती धारा, पृ. 37 251. वही, पृ. 29 252-253. साध्वी सुलोचना स्मृति ग्रंथ, पृ. 11 254. स्था. जैन परम्परा का इतिहास, पृ. 322 255. साध्वी सुलोचना स्मृति ग्रंथ, पृ. 11 Jain Education International 618 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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