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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास रिवाज बिल्कुल बंद है, दरियापुरी आठ कोटी स्थानकवासी जैन संघ की प्रतिष्ठापना भी आपने की। आप अत्यंत व्यवहारकशल एवं समयज्ञा थीं। अहमदाबाद में अध्यात्मयोगी श्रीमद राजचंद्र एवं राष्ट्रपिता महात्मागांधी से भी आपकी धर्म चर्चाएं हई। आप पर मारणान्तिक उपसर्ग भी आये, उसका साहस के साथ मकाबला किया. आपके जीवन से संबंधित अनेक प्रेरक प्रसंग 'पू. नाथीबाई जीवन झरमर' में प्रकाशित हैं।225 आपकी 7 शिष्याएँ थीं-श्री कांताबाई, श्री आनंदीबाई, श्री जसवंतीबाई, श्री झबकबाई तथा श्री प्रफ्फुल्लाबाई, श्री शकरीबाई. श्री कुसुमबाई। श्री नाथीबाई की पूर्ण आयु 100 वर्ष की थी, जो दरियापुरी संप्रदाय में एक कीर्तिमान है। 71 वर्ष की दीक्षा-पर्याय पूर्ण कर फाल्गुन शु. 7 सं. 2032 को शाहपुर में आपका स्वर्गवास हुआ। 6.4.2 श्री झबकबाई (सं. 1962 के लगभग - स्वर्गस्थ) आपका जन्म सायला में मूलचंदभाई के यहाँ, तथा विवाह वढवाण के वोरा कुटुम्ब में हुआ। वेधव्य के पश्चात् 40 वर्ष की वय में दीक्षा अंगीकार की। आपका जीवन अत्यन्त सादगी व संयम पूर्ण था। आहार में पांच द्रव्यों का ही सेवन करती थीं, प्रमाद आपके जीवन में नहीं था, प्रायः स्वाध्याय-ध्यान में लीन रहती थीं।26 6.4.3 श्री सूरजबाई (सं. 1979 से पूर्व -स्वर्गस्थ) आप श्री झबकबाई की शिष्या थीं, आपका जन्म वढवाण (सौराष्ट्र) में हुआ, माता का नाम मोंघीबाई था, बाल्यवय में ही आपका विवाह हो गया किंतु संयम की उत्कट भावना से पति व श्वसुर से आज्ञा लेकर दीक्षा अंगीकार की। आपका जीवन ज्ञान और आचार का संगम था, व्याख्यान-शैली मधुर व अध्यात्म से अनुरंजित थी। पालनपुर में आपका अधिक प्रभाव था। श्रीकेसरबाई, चंपाबाई, ताराबाई आदि आपकी शिष्याएँ थीं।227 6.4.4 श्री पार्वतीबाई (सं. 1979-2018 के पश्चात् ) __ आपका जन्म सुरेन्द्रनगर में पिता जीवणभाई और माता झबकबाई के यहां हुआ। लींबड़ी निवासी श्री जेठालालभाई के साथ आपका संबंध हुआ, कुछ ही समय पश्चात् विधवा हो जाने से आपको विरक्ति पैदा हो गई और श्री जीवकोरबाई की सुशिष्या बालुबाई महासतीजी के पास 'वीरमगाम' में दीक्षा अंगीकार की। आप संयमनिष्ठ एवं आगमप्रेमी थीं, सदा स्वाध्याय की प्रेरणा देती रहती थीं।228 6.4.5 श्री केसरबाई (सं. 1982-2033) दरियापुरी संप्रदाय के सूर्यमंडल की अग्रणी श्री केसरबाई महासतीजी का जन्म बनासकांठा जि. पालनपुर में संवत् 1958 के पोष मास में श्री फोजालाल पारेख व श्रीमती समरतबेन के यहां हुआ। 16 वर्ष की वय में पालनपुर के श्री बालचंदजी मंगलजी के साथ विवाह हुआ, दो वर्ष में ही पति की मृत्यु हो गई, तब आपने अपने श्वसुर पक्ष की संपूर्ण सम्पत्ति से पालनपुर में 'मंगलजी वमलशी होस्पीटल' का निर्माण करवाया, और जब दीक्षा का 225. संपादक, भातृचन्द्रपादाम्बुजरज 'अंबू' प्रकाशक-श्री शाहपुर दरियापुरी आठकोटि स्था. जै. संघ, अहमदाबाद, ई. 1976 226. संपा. अमृतलाल स. गोपाणी, वसुवाणी, भाग बीजो, पृ. 340, माटुंगा मुंबई, ई. 1962 227. वसु.वाणी, भाग बीजो, पृ. 340 228. वसुवाणी, भाग बीजो, पृ. 341 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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