SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 659
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ जैन सिलाई शिक्षण केन्द्र, भगवान महावीर सिलाई स्कूल आदि की स्थापना हुई है। अनेक युवकों को व्यसन मुक्त करने में आप भी अग्रणी रहीं । कविता, भजन आदि बनाने में भी निष्णात हैं आपका प्रवचन ओजस्वी व हृदयस्पर्शी होता है। 85 आपकी 5 शिष्याएँ हैं। 6.3.2.89 श्री सुशीलाजी (सं. 2019 से वर्तमान ) आप रोहतक जिले के ग्राम 'रिंढाणा' में प्रतिष्ठित चौधरी धारासिंहजी की कन्या हैं। श्री त्रिलोकचंद जी महाराज से 10 मई 1962 को घरोंडा में दीक्षा पाठ पढ़कर आप श्री सुंदरीजी की शिष्या बनीं। आपने पाथर्डी बोर्ड से जैन सिद्धान्तशास्त्री तक परीक्षाएँ दी हैं। आपका कंठ मधुर हैं, समाज कल्याण एवं ज्ञानवृद्धि के लिए कई स्थानों पर पुस्तकालय (मजलिस पार्क, उत्तमनगर, गुडगांव, जालंधर) की स्थापना की । भटिण्डा में पशु-पक्षी चिकित्सालय, बुलढाणा एवं न्यू शक्तिनगर में होम्योपैथी डिस्पैंसरी हेतु प्रेरणा दी। मांस व शराब की दुकानों बंद करवाया, भ्रूण हत्या एवं व्यसन सेवन के कइयों प्रत्याख्यान करवाये। आपने दो मासखमण व अट्ठाइयाँ की हैं। आपकी पुस्तक 'संयम सुरभि' में आपकी विद्वत्ता एवं गुरू- भक्ति के दर्शन होते हैं। 186 6.3.2.90 आचार्य डॉ. श्री साधनाजी (सं. 2020 से वर्तमान ) आपका जन्म हरियाणा के जींद शहर में 9 जून 1948 को श्री बलदेवकुमारजी के यहां हुआ। सं. 2020 दिल्ली में श्री सुशीलमुनिजी म. से दीक्षा लेकर आप श्री सरलाजी की शिष्या बनीं। दीक्षा के पश्चात् आपने जैन आगम ज्ञान व संस्कृत प्राकृत का गहन अध्ययन किया। साथ ही 'अपभ्रंश जैन साहित्य में जीवन मूल्य' पर पी. एच. डी. तथा 'हिन्दी साहित्य और दर्शन में आचार्य सुशीलकुमारजी का योगदान' विषय पर डी.लिट् की उपाधि प्राप्त की। विश्वधर्म सम्मेलन के प्रेरक आचार्य सुशीलकुमारजी के साथ रहकर आपने विविध सामाजिक धार्मिक गतिविधियों में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। 'आचार्य सुशील गऊ सदन', आचार्य सुशील मार्ग, आचार्य सुशील चौंक आदि की संस्थापना में आपकी प्रमुख भूमिका रही । अमेरिका के 'न्यूजर्सी' स्थित 'सिद्धाचलम्' तीर्थ निर्माण में आपका परिश्रम निहित है। भगवान महावीर के अहिंसा सिद्धान्त के प्रचारार्थ आप कई बार अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, हांगकांग, नेपाल आदि स्थानों पर गई हैं। भारत से विदेशयात्रा पर जाने वाली आप 'प्रथम जैन साध्वी' हैं, तथा विश्व विद्यालय की उच्चतम उपाधि डी. लिट् प्राप्त करने वाली भी आप प्रथम जैन साध्वी हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम महिला आचार्य भी हैं। आपकी प्रेरणा 'अहिंसा पर्यावरण साधना मन्दिर' नई दिल्ली तथा 'वर्ल्ड फैलोशिप आफ रिलीजन्स' भवन का निर्माण हुआ है। आप निम्नलिखित संस्थाओं में उच्चपदपर आसीन है - (1) तृतीय पट्टधर आचार्य - इन्टरनेशनल अर्हत् जैन संघ, ई. 1998 दिल्ली, (2) अध्यक्षा - आचार्य सुशील मुनि मैमोरियल ट्रस्ट, (3) संरक्षिका - विश्व अहिंसा संघ, (4) चेयरपर्सन-आचार्य सुशील गऊ सदन, (5) संरक्षिका - आचार्य सुशील मुनि चैरिटेबल हस्पताल होशियारपुर, (6) मार्गदर्शिका - श्री महावीर विश्व विद्यापीठ दिल्ली, (7) प्रमुख अमेरिका, इंग्लैंड मद्रास दिल्ली स्थित सभी आश्रम, (8) प्रेरिका-अहिंसा पर्यावरण साधना मंदिर, (9) महासचिव- भारत एकता आन्दोलन, (10) उपाध्यक्ष- दिल्ली संत महामंडल, ( 11 ) उपाध्यक्ष- साध्वी शक्ति परिषद । आपकी बहुमुखी प्रतिभा एवं कार्यक्षमता 185 - 188. पत्राचार से प्राप्त सामग्री के आधार पर Jain Education International 597 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy