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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 6.3.2.85 श्री प्रमिलाजी (सं. 2016 से वर्तमान) आप स्यालकोट के श्री चिमनलालजी तातेड़ की सुपुत्री हैं, 18 वर्ष की उम्र में पंडित ज्ञानमुनिजी महाराज से दीक्षा पाठ पढ़ा, आपकी वाणी में मिश्री सी मधुरता है, सेवा, आत्मीयता, सहृदयता, करूणा, व्यवहार कुशलता आपके आकर्षक व्यक्तित्व की पहचान है। आप श्री कौशल्याजी म. सा. 'श्रमणी' की शिष्या हैं।182 6.3.2.86 श्री सुलक्षणाजी (सं. 2016 से वर्तमान) संवत् 1992 भाद्रपद कृष्णा द्वादशी को इनका जन्म देहली के प्रतिष्ठित जौहरी श्री केवलचंदजी के यहां हुआ, तथा दीक्षा संवत् 2016 वैशाख शुक्ला षष्ठी के शुभ दिन चांदनीचौंक दिल्ली में श्री राजेश्वरीजी म. के पास हुई। आप अति गंभीर, विनयवान व विवेकशीला साध्वी रत्न हैं। संस्कृत में शास्त्री तथा जैन सिद्धान्त शास्त्री की परीक्षाएँ देकर स्वमत व परमत दर्शन तथा आगम का विशिष्ट ज्ञान अर्जित किया। तप आपके जीवन का अभिन्न अंग रहा है। 25 बार नवपद की ओली, 41, 204, 400 आयंबिल लगातार किये। उपवास की कई अठाइयाँ, 10, 18, 33 उपवास 2 बार, तथा 11 उपवास 11 बार कर चुकी हैं। आप तप, स्वाध्याय, ज्ञान ध्यान में तल्लीन रहती हैं।183 6.3.2.87 डॉ. मंजुश्रीजी (सं. 2017 से वर्तमान) आप दिल्ली चांदनीचौंक निवासी श्री कंवरसेनजी चौरड़िया की सुपुत्री हैं। महासती कौशल्यादेवीजी के अध्यात्मनिष्ठ उपदेश से वैराग्य रंग से अनुरंजित होकर पंडितरत्न श्री त्रिलोकमुनिजी महाराज से संवत् 2017 वैशाख शु. 8 को चांदनी चौंक में ही दीक्षा पाठ पढ़कर आपश्री कौशल्यादेवीजी की शिष्या बनीं। आप प्रखर बुद्धि एवं मधुर गायिका हैं। आपने जैन सिद्धान्ताचार्य, साहित्य रत्न, एम. ए. व सन् 1990 में “जैन दर्शन और कबीर का तुलनात्मक अध्ययन" पर पूना विश्व विद्यालय से पी. एच. डी. की डीग्री प्राप्त की है। आपका शोध ग्रंथ दिल्ली से प्रकाशित हो चुका है, अन्य भी आपकी कृतियां हैं-मंजुगीतमाला, गुरू-दक्षिणा, देव रचना का अनुवाद (संदर्भ एवं टिप्पणी सह) आपका नाम अमेरिकन बायोग्राफिकन इन्स्टीट्यूट (ई. 1992) व रिफरेन्श एशिया (ई. 1991) में उल्लिखित है। इनकी 6 शिष्याएँ हैं। प्रमुख शिष्या श्री अक्षयश्री विदुषी, ध्यान साधिका व शांत स्वभावी साध्वी हैं, इनकी समर्पण, महावीथी, रसायन, अमीधारा, मेरा भाई, जागरण, श्रुतधारा आदि साहित्य प्रकाशित है।184 6.3.2.88 श्री प्रमोदजी (सं. 2018 से वर्तमान) संयमनिष्ठ साध्वी प्रमोदजी का जन्म संवत् 1999 में श्रीमान् देशराजजी अग्रवाल कैंथल निवासी (हरियाणा) के यहां हुआ। संवत् 2018 फाल्गुन कृष्णा 13 के शुभ दिन दिल्ली चांदनीचौंक में श्री राजेश्वरीजी महाराज के पास दीक्षा अंगीकार की। आप मधुरस्वभावी, व्यवहारदक्ष, समतावान विदुषी साध्वी हैं। आगमों के गहन चिंतन के साथ स्तोक व स्वमत-परमत का विशिष्ट अध्ययन किया है। आपकी प्रेरणा से जालन्धर में महासती मोहनदेवी 182. उपप्रवर्तिनी श्री कौशल्यादेवी जीवन-दर्शन, पृ. 104 183-184. पत्राचार व संपर्क से प्राप्त सामग्री के आधार पर 596 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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