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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ 6.3.2.58 श्री प्रियावतीजी (सं. 1995-2040)
आपका जन्म सं. 1970 में शहर रिवाड़ी (हरियाणा) के श्री कुन्दन लाल जी दिगंबर जैन (कपड़े के व्यवसायी) के यहां हुआ, एवं विवाह फिरोजपुर के श्री प्रहलादराय जी जैन स्थानकवासी के साथ हुआ। वैराग्य भाव उत्पन्न होने पर पति, सास, ससुर का त्याग कर सं. 1995 वैशाख शु. 7 के दिन गणि उदयचंदजी महाराज, जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म. के द्वारा दीक्षा पाठ पढड़ा, इसी दिन श्री सीता जी व चम्पकमाला जी की भी दीक्षा हुई। आप विनम्र एवं विदुषी थीं। कइयों की जीवन निर्माता थी। अंत में कर्मपुरा, नई दिल्ली में सन् 1983 में आप स्वर्गवासिनी हुईं।।54 इनके शिष्या परिवार का परिचय तालिका में दिया गया है। 6.3.2.59 प्रवर्तिनी श्री केसरदेवीजी (सं. 1995)
श्रीकेसरदेवीजी महाराज का जन्म संवत् 1981 'पुरपांची' जिला रोहतक के चौधरी श्री केवलरामजी की धर्मपत्नी छोटीदेवी की कुक्षि से हुआ था। बाल्यावस्था में ही आपकी माता का स्वर्गवास हो गया, अंन्तिम समय आपकी माता की भावना थी कि मेरी लड़की को धर्ममार्ग पर आरूढ़ करना, अतः संवत् 1992 में आपके पिता चौधरी केवलरामजी आपको श्री मोहनदेवीजी के चरणकमलों में शिष्यारूप में भेंट कर गये। सं. 1995 आसोज शुक्ला द्वादशी के दिन आपका दीक्षोत्सव हुश्यारपुर में हुआ। आप पंजाब की परम प्रभावसंपन्ना निर्भीक साध्वी हैं। जम्मू से लेकर मद्रास तक की सुदूर विहार यात्रा कर जैनधर्म की महती प्रभावना करने वाली आप सर्वप्रथम साध्वी हैं, आपके साध्वी परिवार में उच्च शिक्षा प्राप्त ज्ञान गीता व आचरण में अग्रणी साध्वियाँ हैं। साहसी निर्भीक, वचनसिद्ध तेजोमय व्यक्तित्व के कारण हजारों लोगों को धर्म से जोड़ने, व्यसनमुक्त करने में आपका विशिष्ट योगदान रहा है। आप 'पंजाब सिंहनी' के रूप में भारत भर में विख्यात हैं। आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को उजागर करने वाला गौरव-ग्रन्थ उत्तर भारत की श्रमणियों में सर्वप्रथम प्रकाशित हुआ है। 6.3.2.60 श्री बुद्धिमतीजी (सं. 1996 के लगभग से 2045)
श्री बुद्धिमतीजी का जन्म, दीक्षा माता-पिता विषयक जानकारी उपलब्ध नहीं है, इतना ही ज्ञातव्य है कि इन्होंने नौ वर्ष की अल्पायु में दीक्षा ग्रहण की थी, 2045 जून मास में आगरा में स्वर्गवासिनी हुईं। इन्होंने अपने जीवन के अंतिम 50 वर्ष नेत्रहीन अवस्था में व्यतीत किये थे, इस दौरान इनका अधिकांश समय आगरा में ही व्यतीत हुआ, ये महान ख्याति प्राप्त दिव्यदृष्टि सम्पन्न साध्वी थीं, कइयों को इनकी वाणी के चमत्कार देखने को मिले हैं। आगरा में रतनमुनि मार्ग जैन छतरी के समीप पंचकुइयां रोड़ पर इनका पावन समाधि स्थल बना हुआ है। जालन्धर से प्रकाशित "विमल विवेक' पत्रिका के मुखपृष्ठ पर इनका जाप करते हुए चित्र भी दिया गया है। 6.3.2.61 उपप्रवर्तिनी श्री सुन्दरीजी (सं. 1996-2062)
आपका जन्म वि. सं. 1972 की भाद्रपद शुक्ला पंचमी तिथि 'संवत्सरी' के शुभ दिवस हरियाणा प्रान्त सोनीपत जिले के राजपुरा ग्राम में हुआ। आपके पिताश्री 'चौधरी ज्ञानसिंह राठी' एवं माता 'श्रीमती भरतोदेवीजी 154. संयम गगन की दिव्य ज्योति, पृ. 246-51 155. महासती केसरदेवी गौरव-ग्रंथ, लेखिका-साध्वी विजयश्री 'आर्या', प्रकाशन-पार्श्व ऑफसैट प्रैस, दिल्ली, 1994 ई. 156. सविता जैन लुधियाना का संस्मरण लेख, विमल विवेक पत्रिका, फरवरी 2005, पृ. 31
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