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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 6.3.1.49 श्री सज्जनकुंवरजी (सं. 1992-स्वर्गस्थ) ___ बार्शी (सोलापुर) निवासी श्रीमान् आनन्दरामजी चतुरमूथा की आप सुपुत्री तथा चिंचवड़ निवासी श्री बोरीदासजी संचेती की पुत्रवधु थीं, अल्पकाल में ही पतिवियोग के पश्चात् आपको तत्त्व की प्राप्ति हुई. सं. 1992 फाल्गुन कृष्णा 11 को श्री आनन्दऋषिजी म. सा. के श्रीमुख से पूना में दीक्षा अंगीकार कर श्री आनन्दकुंवरजी की शिष्या बनीं। आपने पंडित राजधारी त्रिपाठी जी से संस्कृत-प्राकृत तथा शास्त्रों का अच्छा अभ्यास किया। आपका व्याख्यान भी प्रभावक था, आपने प्रायः पूना, सोलापुर, कर्णाटक में विचरण कर धर्म का खूब उद्योत किया। पूना में सं. 2012 को श्री शांतिकुंवरजी को दीक्षित किया। 6.3.1.50 श्री पानकंवरजी (सं. 1993-स्वर्गस्थ) आप शाजापुर निवासी श्री हुक्मीचंदजी की पुत्री एवं कानड़ निवासी श्री देवबक्षजी की धर्मपत्नी थीं। प्रवर्तिनी श्री रतनकंवरजी के पास संवत् 1993 माघ कृ. 5 को भुसावल में पूज्य श्री देवजी ऋषि जी से दीक्षा पाठ पढ़ा। आप हिंदी, संस्कृत, स्तोक व शास्त्रों की अच्छी ज्ञाता थीं, फुटकर उपवास आदि के साथ 9, 11, 17, 19, 21 उपवास भी किये, आप शांत स्वभावी आत्मार्थिनी साध्वी थीं। आपका स्वर्गवास लगभग 96 वर्ष की अवस्था में शाजापुर में हुआ। आप डॉ. सागरमलजी जैन की दादीजी थी। 6.3.1.51 श्री दयाकुंवरजी (सं. 2000-स्वर्गस्थ) आपका जन्म चांदुरबाजार (बरार) में आसाढ़ शु. 13 सं. 1974 में श्री आसकरणजी छाजेड़ के यहां तथा विवाह नागौर निवासी श्री नेमिचन्द्रजी सुराणा से हुआ। वैशाख कृ. 13 सं. 2000 को चांदुरबाजार में दीक्षा ग्रहण कर श्री हुलासकंवरजी की नेश्राय में शिष्या बनीं। आपकी प्रकृति बहुत ही कोमल तथा सरल थी, निरन्तर नूतन ज्ञानार्जन हेतु प्रयत्नशील रहीं। शास्त्रीय ज्ञान के साथ हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत भाषाओं का भी आपने अच्छा अभ्यास किया।" 6.3.1.52 प्रवर्तिनी श्री इन्द्रकुंवरजी आपकी जन्मभूमि कुडगांव (अहमदनगर) थी, आप आठ वर्ष की उम्र से ही विरक्ता बनकर दौंड में श्री चन्द्रकुंवरजी के पास दीक्षित हुई। आपने आगम ज्ञान व संस्कृत प्राकृत आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया, अनेक से आपका प्रवचन भी प्रभावशाली व रोचक होता था। संवत 2002 पना में आत्मार्थी श्री मोहनऋषिजी महाराज ने आपको 'प्रवर्तिनी' पद से अलंकृत किया। आपने जैनधर्म की खूब प्रभावना की। भाषाओं पर 6.3.1.53 प्रवर्तिनी श्री प्रमोदसुधाजी (सं. 2005-2060) महासती श्री प्रमोदसुधाजी का जन्म विजयादशमी के शुभ दिन घोड़नदी (महाराष्ट्र) में पिता श्रीमान् चांदमलजी चोपड़ा एवं माता सौ. प्यारीबाई की कुक्षि से हुआ। 13 जनवरी सन् 1948 को घोड़नदी में ही श्री 75. ऋ. सं. इ., पृ. 329 76. ऋ. सं. इ., पृ. 385 77. ऋ. सं. इ.. पृ. 290 78. ऋ. सं. इ., पृ. 419 560 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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